आईआईटी भिलाई के वर्ष 2016 बैच के छात्र आनंद ने पढ़ाई के दौरान ही स्वयं की कंपनी डाली और आज आनंद की इस कंपनी के बनाए गए रिसर्च बेस्ड प्रोडक्ट की डिमांड पूरे देश में है। आनंद ने स्टार्टअप के तहत अपनी खुद की कंपनी खड़ी की। इसके साथ ही अपने बैच के 6 और अपने 20 जूनियर साथियों को इंटर्नशिप के लिए मौका दिया। अभी उनकी कंपनी में 25 लोग सालाना लाखों के पैकेज में काम कर रहे हैं।
आनंद पूरे आईआईटी में इस सीजन का पहला छात्र है जिसने अपनी कंपनी में अपने ही क्लासरूम के छात्रों को प्लेसमेंट दे दिया। आनंद ने दैनिक भास्कर ने विशेष रूप से बातचीत की। उनसे भास्कर को बताया कि वह कैसे यहां तक पहुंचा। उसने अपनी कंपनी व पढ़ाई दोनों के लिए टाइम निकाला। इसके लिए फोकस वर्किंग की। इसके अलावा 20 लाख रुपए का पैकेज छोड़ा और अपने काम पर फोकस होकर वर्किंग की।
देश के काम आ रही आनंद की कंपनी द्वारा किए गए ये रिसर्च
इंडस्ट्रियल रिसर्च: आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है। उसे बेस बनाकर आनंद की कंपनी रिसर्च कर रही है। 2020 में ही इंडस्ट्रियल बेस्ड रिसर्च के लिए बॉयो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज रिसर्च असिस्टेंट काउंसिलिंग (बॉयरॉक) का बिग ग्रांट मिला है। यह उनके क्रिएटिव आइडिया के कारण दिया गया।
मलेरिया की जांच: सर्वाइकल कैंसर की जांच करने वाली तकनीक बनाने के बाद मलेरिया की जांच के लिए आनंद की कंपनी ने डिवाइस बनाया। 15 रुपए खर्च करके इस डिवाइस से कोई भी मलेरिया, दांत व अन्य बीमारियों की जांच करा सकता है। इसे छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में लागू करने की तैयारी है।
सर्वाइकल कैंसर की पहचान: 2018 में आनंद और उनकी टीम ने महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर की पहचान करने के लिए एप और नई तकनीक की इजाद की। ट्रिपल आईटी हैदराबाद ने आनंद की कंपनी को ग्रांट दिया। प्रोडक्ट को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। ग्राउंड लेवल पर एक्जीक्यूशन शुरू कर दिया है।
टाइम मैनेजमेंट के साथ संभव हो पाया पढ़ाई और स्टार्टअप से जुड़े काम
यह बड़ा सवाल है कि आईआईटी में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते-करते आनंद ने कैसे खुद की कंपनी लॉगी डॉट एआई बना ली। आनंद बताते हैं कि दोनों को टाइम मैनेजमेंट के साथ मैनेज किया। देश के लिए कुछ करने की जिद थी। किसी और की कंपनी में काम करने से अच्छा खुद का ही बना लिया। हमारी कंपनी देश की समस्याओं के समाधान के लिए रिसर्च बेस्ड तकनीक पर काम करती है। पढ़ाई में भी फोकस रहा।
पॉकिटमनी से शुरू की कंपनी, अब सरकार करती है एप्रोच, लगातार रिसर्च
लॉग डॉट एआई को कंपनी का रूप देने में आईआईटी भिलाई के फर्स्ट बैच के छात्र आनंद पंचभाई के अलावा उनके दो दोस्त आईआईएम रायपुर के प्रियजीत घोष और एनआईटी रायपुर के विनय खोब्रागढ़े भी है। तीनों ने अपनी-अपनी पॉकिटमनी से कंपनी की नींव रखी। अब भारत सरकार के अलावा राज्यों की सरकार हेल्थ और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेक्टर में उपयोगी प्रोडक्ट, एप और डिवाइस की डिमांड है।
पहले बैच में ही आईआईटी भिलाई ने बड़ी कंपनियों को दिए कैंडिडेंट्स
पिछले महीने ही आईआईटी भिलाई के फ़र्स्ट बैच के छात्रों का कैंपस प्लेसमेंट हुआ। इस साल कुल 150 छात्रों ने प्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। आईआईटी में अमेज़ॅन, कॉमवॉल्ट, पे-टीएम, एयर एशिया, एबीबी, टीसीएस रिसर्च इनोवेशन, एलएंडटी, रिलायंस जियो और रेडिसिस जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों से 46 ऑफर मिले। सबसे ज्यादा 31.97 लाख सालाना अमेजन ने दिया। वीएमवेयर, नीडल डॉट ने 3 छात्रों को प्लेसमेंट पैकेज दिया।