Home समाचार कभी सोचा है हमारे जवान अपने ही साथियों पर क्यों कर रहे...

कभी सोचा है हमारे जवान अपने ही साथियों पर क्यों कर रहे हमला?

44
0

मुख्य चुनाव आयुक्त को CRPF असिस्टेंट कमांडेंट राहुल सोलंंकी ने एक चिट्ठी लिखी. ये चिट्ठी उन्होंने झारखंड विधानसभा चुनाव में ड्यूटी के दौरान लिखी थी.”सर मुझे लगता है कि इस देश में आतंकवादियों और नक्सलियों के बाद हमारे जवानों के भी कुछ मानवाधिकार हैं लेकिन जवानों की सेहत और साफ सफाई को लेकर प्रशासन का अमानवीय रवैया और कुछ नहीं मानव सम्मान और अधिकार का उल्लंघन करता है.”

CRPF असिस्टेंट कमांडेंट ने ये चिट्ठी 23 नवंबर 2019 को लिखी थी. इसमें उन्होंने बताया कि झारखंड विधानसभा चुनाव में ड्यूटी पर तैनात CRPF जवानों को पानी, टॉयलेट सोने के लिए गद्दे और तकिए तक नहीं दिए जा रहे हैं.

क्विंट ने ये स्टोरी 27 नवंबर को की और 1 दिसंबर को झारखंड के सीनियर अधिकारियों ने CRPF जवानों को बेसिक सुविधाएं देने का आदेश दिया. लेकिन ग्राउंड पर कुछ खास बदला नहीं. नाम जाहिर न करने की शर्त पर CRPF अधिकारियों ने बताया कि CRPF जवानों के लिए बेसिक सुविधाएं जुटाना आज भी मुश्किल है.

तब से अब तक ये हुआ है.

9 दिसंबर को रांची के CRPF कैंप में एक भयानक घटना घटी. छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के कांस्टेबल विक्रमादित्य राजवाड़े को झारखंड में इलेक्शन ड्यूटी के लिए भेजा गया. उन्होंने अपने कंपनी कमांडर इंस्पेक्टर मेला राम कुर्रे को गोली मार दी. फिर खुद को गोली मार ली. इस घटना के सिर्फ 24 घंटे बाद ही एक और घटना घटी. CRPF के एक जवान ने झारखंड के कैंप में एक अफसर समेत अपने दो साथियों को मार डाला.

ये दोनों वारदात क्यों हुई?

ये आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया लेकिन CRPF अधिकारियों ने हमें बताया कि पहली नजर में लग रहा है कि थकान और तनाव के कारण ऐसा हुआ क्योंकि ये जवान खाना, पानी और टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधा के बिना लगातार इलेक्शन ड्यूटी कर रहे थे. ऐसा भी नहीं है कि ये सिर्फ झारखंड में हो रहा हो. कुछ हफ्ते पहले छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक और घटना घटी थी. एक ITBP जवान ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों पर गोलियां चलाईं. 5 ITBP जवानों की मौत हो गई और 2 जवान घायल हुए. बाद में फायर करने वाले जवान ने खुद को भी गोली मार दी.ITBP के सूत्रों ने खुलासा किया है कि जिस जवान ने ये किया उसने अपने यूनिट कमांडर के पास जुलाई में छुट्टी के लिए अप्लाई किया था लेकिन उसे दिसंबर में छुट्टी दी गई. इन घटनाओं के तात्कालिक कारण कई सारे हो सकते हैं लेकिन इन घटनाओं में जो कॉमन बात है उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

जवानों से गंदा सुलूक, तय वक्त से ज्यादा काम और शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं. ये सभी कारण हमारे जवानों के दिमागी हालत पर असर डालते हैं. बेसिक सुविधाओं की कमी के बारे में शिकायतें पहले भी की गई हैं.

जनवरी 2017 में BSF जवान तेज बहादुर यादव ने शिकायत की कि उनके कैंप में घटिया खाना दिया जा रहा है. सरकार और BSF ने उनके दावों को गलत बताया. तीन महीने लंबी चली जांच के बाद तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया.

सैलरी और सेवा के दौरान मिलने वाले लाभ की बात करें तो यहां भी सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स अपने IPS अधिकारियों के समकक्ष काफी पीछे हैं. कुछ सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के अधिकारियों ने लगभग 8 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी ताकि उनको भी IPS जैसी ही सुविधाएं मिलें और फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया. लेकिन सरकार ने अभी तक वो फैसला न तो नोटिफाई किया है और न लागू किया है.

पुलवामा तो याद ही होगा आपको. उस आतंकी हमले का शिकार कौन हुआ था?- CRPF के जवान. हमारे 40 जवान उस हमले में शहीद हुए थे. हमने बालाकोट में आतंकी कैंप को तबाह कर उसका बदला लिया था. ये सही है कि हमने शहीद CRPF जवानों के बलिदान का ऐसा बदला लिया था लेकिन हमारे जो जवान अभी तैनात हैं हम उनकी उतनी फिकर क्यों नहीं कर सकते?

सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के हजारों जवान देश के सबसे कठिन इलाकों में तैनात हैं. एंटी-नक्सल ऑपरेशन हो या फिर बॉर्डर पर सुरक्षा, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का सामना या फिर नॉर्थ ईस्ट के उग्रवादी, ये जवान हर पल तलवार की धार पर रहते हैं. क्या उन्हें सम्मान के साथ अपनी ड्यूटी करने का हक नहीं है?