वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया गया है और अगर कोविड-19 की तीसरी लहर आयी तो, उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्व संग्रह बढ़ने से चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
इंडिया ग्लोबल फोरम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और सरकार की केंद्रीय लोक उपक्रमों के निजीकरण का अभियान योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ”….कोई नहीं चाहता कि तीसरी लहर आये। लेकिन बुनियादी ढाांचा खासकर चिकित्सा संबंधी ढांचागत सुविधाओं पर, हमने उसी प्रकार से ध्यान दिया है। हमने केवल महानगरों में ही नहीं बल्कि छोटे और मझोले शहरों (टियर दो और टियर तीन) के लिये विभिन्न उपायों की घोषणा की है।”
उन्होंने कहा, ”विभिन्न वर्गों, बच्चों को ध्यान में रखकर तीव्र गति से चिकित्सा बुनियादी ढांचा सुदृढ़ किया जा रहा है। भगवान न करे, अगर तीसरी लहर आती है, तो हम चिकित्सा बुनियादी ढांचे के मामले में अच्छी तरह से तैयार हैं।”
इसी सप्ताह नये प्रोत्साहन उपायों की घोषणा करते हुए सीतारमण ने अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिये बिस्तरे और अन्य सुविधायें बढ़ाने को लेकर 23,220 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराने की घोषणा की।
इसके अलावा निजी अस्पतालों को चिकित्सा और स्वास्थ्य ढांचा स्थापित करने के लिये 50,000 करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना का ऐलान किया है।
मंत्री ने यह भी कहा कि 45 से 50 लाख लोगों को प्रतिदिन टीका लगाया जा रहा है और अबतक 33 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है।
उन्होंने कहा, ”जिस तरीके से हम टीकाकरण के मामले में आगे बढ़ रहे हैं, मुझे आशा है कि हम अधिकतर आबादी को वायरस के हमले से बचाने में सक्षम होंगे।”
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी राजस्व पिछले आठ महीने से बेहतर बना हुआ है और एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रह रहा है।
उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि यह स्थिति बनी रहेगी क्योंकि अब राष्ट्रीय स्तर पर कोई ‘लॉकडाउन’ नहीं है और आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। ऐसे में राजस्व संग्रह बढ़ने से चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।”
निजीकरण के संबंध में, सीतारमण ने कहा कि यह निजी क्षेत्र की दक्षता लाने में मदद करता है। महामारी के कारण, 2020 में बहुत ज्यादा शेयर बिक्री प्रस्ताव नहीं थे।
उन्होंने कहा, ”…इस साल जब अर्थव्यवस्था खुल रही और टीकाकरण के साथ चिंता बहुत हद तक दूर हो रही है, मैं उम्मीद करती हूं कि निजीकरण कार्यक्रम आगे बढ़ेगा…।”
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक कंपनियों और बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर तथा निजीकरण के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।