भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाने के बार देश की प्रमुख विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को पूर्व CJI का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। गोगोई ने मंगलवार को इस बारे में मीडिया के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं शायद कल दिल्ली जाऊंगा। पहले मुझे शपथ लेने दीजिए फिर मैं विस्तार से मीडिया से बात करूंगा कि मैं क्यों राज्यसभा जा रहा हूं।”
बता दें कि देश के 46वें CJI रहे गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने पर कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्वीट कर राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाए। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर लोगों को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और दिवंगत नेता अरुण जेटली के एक पुराने बयान की याद दिलाई। जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘पोस्ट रिटायरमेंट जॉब के चक्कर में न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है।’
बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्यसभा सीट की पेशकश को ठुकरा देंगे अन्यथा वह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएंगे।’
रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 से लेकर 17 नवंबर 2019 तक देश के चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी संभाली। करीब साढ़े 13 महीने के अपने कार्यकाल में गोगोई कई बार विवादों में घिरे। वह उन चार जजों में एक रहे जिन्होंने रोस्टर विवाद को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसके अलावा, उनपर यौन उत्पीड़न के भी आरोप लगे।
CJI रहते हुए रंजन गोगोई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़े फैसले सुनाए। इसमें सबरीमाला में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश, अयोध्या राममंदिर, राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच, चीफ जस्टिस का ऑफिस RTI के दायरे में आए या नहीं इन सभी मुद्दों पर फैसले दिए गए थे।