भारत का सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा की शक्ति के साथ भारत के संविधान के तहत सर्वोच्च न्यायिक न्यायालय है। भारत के मुख्य न्यायाधीश और अधिकतम 34 न्यायाधीशों से मिलकर, इसमें मूल, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्राधिकार के रूप में व्यापक शक्तियां हैं।
चुनावी मौसम में राजनीतिक पार्टियों की तरफ से विवादित बयान और आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिसको लेकर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट एक्शन में आ चुका है। जानकारी के लिए बता दें हाल ही में देश की सर्वोच्च अदालत ने राजनीतिक पार्टियों को लेकर एक ऐसा आदेश जारी किया है, जिसे सुनकर सभी राजनीतिक पार्टियों के होश उड़ गए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुनकर जनता में भारी खुशी की लहर है। दरअसल बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर आदेश दिया है कि यदि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को चुनाव में टिकट देती है तो उस राजनीतिक पार्टी को उसका कारण बताना पड़ेगा। साथ ही सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रिक मीडिया पर उस अपराधिक रिकॉर्ड वाले नेता के अपराध खुले तौर पर छापे जाएंगे। जिससे जनता को पता चल सके कि आखिरकार इस नेता ने क्या-क्या अपराध किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पूरी तरह से पालन हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सौंपी है। चुनाव आयोग सभी आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों का डाटा राजनीतिक पार्टियों से लेगा और उसे हर तरह की मीडिया पर अपलोड करवाया जाएगा। यदि कोई राजनीतिक पार्टी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानती है तो उस पर ‘कोर्ट की अवमानना’ का केस चलेगा। जो कि भारत में एक संगीन अपराध माना जाता है क्योंकि भारत का संविधान किसी भी नागरिक, संस्था या पार्टी को कोर्ट की अवमानना करने का अधिकार तनिक भी नहीं देता है।