विद्युत-मापी या ‘ऊर्जामापी’ सामान्यत: उन सभी उपकरणों को कहा जाता है विद्युत ऊर्जा का माप करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। विद्युत-मापी प्रायः किलोवाट-घण्टा में अंशांकित (कैलिब्रेटेड) होते हैं।
कुछ विद्युत् मापी विशेष कार्यों के लिए व्यवस्थित होते हैं, जैसे महत्तम माँग संसूचक ), जिसमें मीटर के साथ ऐसा काल अंशक होता है जो निश्चित अवधि में अधिकतम ऊर्जा का निर्देश करे। कुछ विद्युत-मापी ऐसे भी होते हैं जो महत्तम लोड (पीकलोड) के समय में स्वयं लोड को काट दें।
बिजली की चोरी और मीटर से छेड़खानी करने वालों के लिए अब बुरी खबर आई है.यदि किसी ने अपने मीटर के साथ कोई भी छेड़खानी की तो सीधे लखनऊ में बने कंट्रोल रूम तक उसकी सूचना पहुंच जाएगी.दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली को चोरी रोकने और उसकी खपत पर कंट्रोल करने के लिए सभी के घर स्मार्ट बिजली का मीटर लगाना शुरू कर दिया है.इस लिए यह फरमान जारी किया गया है,की यदि बिजली की चोरी करने हेतु किसी ने स्मार्ट मीटर के साथ कोई भी एक्टिविटी की तो,उसे उसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ सकता है.शहर में लग रहे स्मार्ट मीटर में कई खूबियाँ होगी इससे बिजली निगम के कर्मचारियों के साथ ही उपभोक्ताओं को भी सहूलियत मिलेगा. इस स्मार्ट मीटर के जरिये बिजली का बिल पता करने के साथ तत्काल ऑनलाइन शिकायत करने जैसी स्मार्ट टेक्नोलॉजी होगी.हालांकि में शुरूआत में यह मीटर शहरी इलाकों में लगाए जा रहे है,इसके साथ ही बाकी जिला और प्रदेश के हिस्से में इसके लिए सर्वे किया जा रहा है.भविष्य में जल्दी ही और मीटर ला कर पूरे क्षेत्र में लगाए जाएंगे.स्मार्ट मीटर की खूबी यह होगी की बकाया बिल होने पर रिमोट से कनेक्शन काटा जा सकेगा साथ ही किसी भी तरह की गलत गतिविधि या छेड़खानी की सूचना ऑटोमेटिक सीधे कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी.
इस प्रक्रिया के स्वरूप स्मार्ट मीटर के उपभोक्ता को मोबाइल पर एक एप्लीकेशन अपलोड करना होगा.उस एप्लीकेशन में उपभोक्ता आईडी नंबर और मीटर नंबर दर्ज करने के बाद स्मार्ट मीटर एप्लीकेशन से कनेक्ट हो जाएगा.इसके साथ ही मीटर में एक टेलिकॉम कंपनी का सिम लगा होगा जो सीधे सर्वर से जुड़ा होगा.शुरूआती दिनों में स्मार्ट मीटर प्रदेश के उन जगहों पर सबसे लगाया जाएगा जहां से बिजली चोरी की सबसे ज्यादा शिकायत आती है.