धान खरीदी के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन से पहले सीएम भूपेश बघेल ने बड़ा दांव खेलते हुए 5 नवंबर को होने वाली बैठक के लिए बीजेपी व सांसदों को भी बुलाया। दूसरी तरफ बीजेपी सांसदों का दावा है कि इस बारे में हमें कोई सूचना या आमंत्रण नहीं मिला है। इसे जहां कांग्रेस ने बीजेपी का किसान विरोधी रवैया कहा है, वहीं सांसद सुनील सोनी ने नसीहत दी है कि कांग्रेस सरकार राजनीति छोड़कर केंद्र के साथ बेहतर रिश्ते रखे। इससे पहले दिल्ली रवाना होने से पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सांसदों को बैठक की जानकारी ही नहीं है। .
कहां और किस विषय पर बैठक होगी, यह भी नहीं पता है। दरअसल, राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर 2500 रु. प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी और चावल लेने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने ज्यादा चावल लेने से इंकार कर दिया। इस पर कांग्रेस ने बीजेपी-कांग्रेस के सांसदों को एक साथ बैठक राज्य के हित में फैसला लेने के लिए बुलाया था। सीएम बघेल ने प्रेस कांफ्रेंस ने सभी सांसदों और दलों को बुलाने की जानकारी दी थी। बैठक में कांग्रेस की ओर से ज्योत्सना महंत, दीपक बैज और छाया वर्मा ही होंगी।
मोतीलाल वोरा दिल्ली में हैं, इसलिए वे भी शामिल नहीं हो पाएंगे। बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम रांची प्रवास पर रहेंगे, इसलिए वे भी उपस्थित नहीं हो पाएंगे। बैठक के अलावा 5 नवंबर को प्रदेशभर में कांग्रेस आंदोलन करेगी। साथ ही, 13 नवंबर को दिल्ली कूच करने के संबंध में रणनीति बनाई जाएगी।
सभी सांसदों को भेजी गई सूचना
सीएम की तरफ से सभी सांसदों को सूचना भेजी गई है। डॉ. रमन सांसद नहीं हैं, इसलिए उन्हें जानकारी नहीं है। पूर्व सीएम का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। बीजेपी का किसान विरोधी रवैया उजागर हो गया है।
बैठक की जानकारी नहीं
राज्य सरकार केंद्रीय पूल में चावल खरीदी को लेकर लोगों में भ्रम पैदा कर राजनीति कर रही है। केंद्र ने राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। केन्द्र की नीति सभी राज्यों के लिए एक समान है। बैठक की जानकारी नहीं है।