स्वास्थ्य विभाग पिछले तीन साल में निजी अस्पतालों में हार्ट की सर्जरी व एंजियोप्लास्टी के लिए 15 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर चुका है। दूसरी ओर एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में आठ करोड़ की मशीन व उपकरण की खरीदी नहीं हो पाई है। बजट है, लेकिन सीजीएमएससी के काम की धीमी गति के कारण हार्ट के मरीज निजी अस्पतालों पर पूरी तरह निर्भर है। पिछले दो साल में एसीआई को केवल हार्ट लंग मशीन व वेंटिलेटर मिला है। इसकी सप्लाई भी एक से डेढ़ माह पहले हुई है। जब तक पूरी मशीन व उपकरण नहीं आ जाते, तब तक बायपास सर्जरी व वाल्व रिप्लेसमेंट नहीं हो पाएगा। कम खर्च पर सर्जरी की राह देखने वालों की संख्या 900 के पार पहुंच गई है। इनमें कुछ की मौत भी हो चुकी है।
प्रदेश में हार्ट संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए दो साल पहले अंबेडकर अस्पताल में एसीआई चालू किया गया है। वहां कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) व कार्डियोलॉजी विभाग का संचालन हो रहा है। कार्डियोलॉजी विभाग की कैथलैब यूनिट अभी भी अंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग में संचालित की जा रही है। सीटीवीएस विभाग की ओपीडी एसीआई में है।
{एसीआई में ढाई से तीन महीने में शुरू होगी बायपास सर्जरी
छाती, फेफड़े व खून की नसों (वेस्कुलर) संबंधी सर्जरी एसीआई के ओटी में हो रही है। सर्जरी के लिए दो सीटीवीएस सर्जन भी है, लेकिन मशीन व जरूरी स्टाफ नहीं होने के कारण न तो बायपास सर्जरी हो पा रही है और न ही वॉल्व रिप्लेसमेंट। स्वास्थ्य विभाग ने पिछले तीन साल में निजी अस्पतालों को इलाज के बदले भारी-भरकम रकम का भुगतान किया है। दरअसल ये भुगतान संजीवनी कोष, बाल हृदय व चिरायु योजना के तहत हुआ है। वर्तमान में आयुष्मान भारत योजना में हार्ट से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। एसीआई में मशीन खरीदी व रिनोवेशन के लिए 20 करोड़ का बजट भी स्वीकृत है, लेकिन मशीनों की खरीदी नहीं हो पाई है। मशीन खरीदने का जिम्मा सीजीएमएससी के पास है। हालांकि टेंडर हो गया है, लेकिन ज्यादातर मशीनों का टेंडर फाइनल नहीं होने के कारण वर्कआर्डर नहीं हो पाया है। इसमें अभी भी देरी होने की आशंका है।
नवंबर 2017 से अब तक केवल इंतजार ही इंतजार
एसीआई में एक नवंबर 2017 को ओपीडी शुरू होने के बाद बायपास सर्जरी व वाल्व रिप्लेसमेंट कराने के लिए मरीजों की कतार लगनी शुरू हो गई है। दो साल में 900 से ज्यादा मरीज बायपास सर्जरी के लिए इंतजार कर रहे हैं। इनमें कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। कुछ लोग निजी अस्पतालों में सर्जरी करवा चुके हैं। भास्कर ने तीन मरीजों से बात की। इनमें से केवल एक ने सर्जरी कराई है। बाकी दो दवा से काम चला रहे हैं। उन्हें एसीआई में सर्जरी का इंतजार है। इनमें 50 साल के बुजुर्ग ने कहा कि उन्होंने निजी अस्पताल में 1.75 लाख रुपए में बायपास सर्जरी करवाई। एक अन्य 55 वर्षीय महिला के परिजनों ने भी निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया।
इन इलाजों के लिए निजी अस्पताल भेजे जा रहे मरीज
- बायपास सर्जरी
- ओपन हार्ट सर्जरी
- वाल्व रिप्लेसमेंट
- एंजियोग्राफी
- एंजियोप्लास्टी
- बाल हृदय व चिरायु योजना के तहत बच्चों को
अब तक एनओसी नहीं मिली कॉर्पोरेशन से
डीएमई कार्यालय ने खरीदी में हो रही देरी को देखते हुए मशीन व उपकरण खरीदने के लिए सीजीएमएससी से एनओसी मांगी थी। एनओसी अब तक नहीं मिली है। कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि सभी मशीनों का टेंडर हो गया है और प्रक्रिया जारी है। ऐसे में एनओसी नहीं दी जा सकती।
जरूरी मशीनें खरीद रहे
बायपास सर्जरी व वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए जो जरूरी मशीन व उपकरण जरूरी है, खरीदी की जा रही है। हार्ट लंग व वेंटीलेटर की सप्लाई हो चुकी है। बाकी का वर्कआर्डर किया जाएगा।
नहीं मिली एनओसी
जरूरी मशीनों की कमी के कारण बायपास सर्जरी अभी तक शुरू नहीं हुई है। सीजीएमएससी को पत्र लिखकर एनओसी मांगी गई थी, लेकिन इसका जवाब नहीं आया।