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जंगल से मशरूम लाने गए शिक्षक को बाघ ने बनाया निवाला..

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सिवनी जिले में एक बाघ ने एक शिक्षक पर हमला कर उन्हें अपना निवाला बना लिया. यह घटना मंगलवार को घटी जब शिक्षक जंगल से मसरूम लाने गए थे. जब बहुत देर तक शिक्षक जंगल से नहीं लौटे तब उनकी खोजबीन की जाने लगी. देर शाम ग्रामीणों को शिक्षक का चप्पल मिला. फिर वहीं पर के पैरों के निशान भी मिले. वहां पर शिक्षक को घसीटे जाने के साथ ही बाघ के पैरों के निशान आगे तक मिलते गए. यही निशान ग्रामीणों को शिक्षक की क्षत विक्षत लाश तक ले गया. घटना की सूचना मिलने के बाद वन विभाग ने बाघ के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया है. हालांकि बारिश के कारण फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन रुका हुआ है.

मिली जानकारी के अनुसार सिवनी जिले में पेंच टाइगर रिजर्व से सटे एक गांव में एक शिक्षक पर बाघ ने हमला कर उन्हें अपना निवाला बना लिया. 23 वर्षीय शिक्षक मनोज धुर्वे का पेंच टाइगर रिजर्व से सटे मुदियार्ची गांव के पास अपना फार्म हाउस है. इसी गांव के प्राइमरी स्कूल में वह गेस्ट टीचर के रूप में भी काम करते थे. मंगलवार की सुबह 11 बजे के आसपास वह जंगल से मशरूम लाने गए थे. लेकिन जब बहुत देर तक उनकी वापसी नहीं हुई तब गांव के लोग उन्हें ढूंढ़ने लगे. फिर शाम 8.30 बजे के आसपास शिक्षक का चप्पल पाया गया. यहां टाइगर के पगमार्क मिले. इसी पगमार्क के जरिए ग्रामीण शिक्षक की क्षत विक्षत लाश तक पहुंच पाए. सिर और पांव के हिस्से को छोड़कर टाइगर ने शरीर के बाकी हिस्से को निवाला बना लिया था. घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मियों ने आदमखोर टाइगर की खोज शुरू कर दी है.

ग्रामीणों का मानना है कि बाघों की संख्या बढ़ जाने के कारण बहुत सारे बाघ पेंच टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर निकलकर दूसरे क्षेत्रों में आ गए हैं. ये बाघ अब पालतू जानवरों के साथ ही मनुष्यों पर भी हमला करने लगे हैं. वहीं वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए कहा कि टाइगर को रेस्क्यू कर आबादी वाले क्षेत्र से दूर सुरक्षित क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा. वन अधिकारियों ने बताया कि शिक्षक की मौत की जांच करने के बाद उनके परिवार के आश्रितों को आर्धिक मदद दी जाएगी. बता दें कि 2014 में कटनी जिला में बांधवगगढ़ नेशनल पार्क के खितोली क्षेत्र में एक स्कूल टीचर पर टाइगर के हमले के बाद ग्रामीणों ने बवाल काटा था. तब ग्रामीणों ने फॉरेस्ट रेंज के ऑफिस सहित 9 घरों को जला दिए थे. ग्रामीणों की उग्र भीड़ ने वन विभाग के अधिकारी और कर्मियों पर भी हमला किया था. स्थानीय पुलिस कर्मियों, स्थानीय पत्रकारों के साथ ही कुछ वन कर्मियों को बंधक भी बना लिया गया था. उग्र ग्रामीणों ने गाड़ियों में भी आग लगा दी थी. उस उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 144 धारा लगानी पड़ी थी.