जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद बदले हालात का असर कश्मीरी सेब और अखरोट पर दिख रहा है। कश्मीर के सेब की बुकिंग नहीं हो पा रही है। वहीं सप्ताह भर से अखरोट की आवक भी ठप है।
जम्मू-कश्मीर से बड़ी मात्रा में सेब और अखरोट आता है। कश्मीर से आने वाले सेब की आवक वैसे तो सितम्बर से शुरू होती है, लेकिन बुकिंग पहले ही होने लगती है। गोरखपुर फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र सोनकर का कहना है कि फिलहाल फलों की आवक हिमाचल प्रदेश से किया जा रहा है। शिमला का सेब खत्म होने को होता है तो बाजार में कश्मीर का सेब पहुंचता है। हालांकि इसकी बुकिंग पहले से होने लगती है। कश्मीर के बदले हालात के चलते व्यापार को लेकर कोई वार्ता नहीं हो पा रही है। इंटरनेट और मोबाइल सेवा प्रभावित होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है।
फल कारोबारी रमेश सोनकर का कहना है कि इस समय हिमांचल प्रदेश से रोजाना पांच से सात ट्रक सेब की आवक हो रही है। अनुमान है कि सितम्बर माह से कश्मीरी सेब की आवक भी शुरु हो जायेगी। फल व्यापारियों ने बताया कि कश्मीरी सेब की मांग सबसे अधिक होती है। यह उच्च गुणवत्ता वाला सेब होता है इसलिए व्यापारियों का इसमें मुनाफा ज्यादा होता है। साथ ही स्वाद के शौकीन लोग कश्मीरी सेब को ज्यादा तरजीह देते हैं।
अखरोट की नहीं हो रही बुकिंग
अखरोट की आवक कश्मीर से ही होती है। पिछले एक सप्ताह से अखरोट का ऑर्डर बुक नहीं हो रहा है। थोक कारोबारी अनिल जायसवाल का कहना है कि अखरोट की बुकिंग पर असर पड़ा है। लेकिन महीने भर का स्टाक बाजार में उपलब्ध है। कश्मीर में हालात सामान्य होने के बाद अखरोट का ऑर्डर बुक होगा। फिलहाल अखरोट 450 से 1000 रुपये के रेंज में उपलब्ध है। दाम में किसी प्रकार का बदलाव नहीं है।