कर्नाटक में राजनीतिक उथल-पुथल अभी खत्म नहीं हुआ है. गुरुवार को विधानसभा में दिनभर चले ड्रामे के बाद विश्वास मत पर वोटिंग नहीं हो पाई. 18 जुलाई को विधानसभा में विश्वास मत पर बहस शुरू हुई, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने सदन में बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया. तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार पर जानबूझकर मतदान में देरी का आरोप लगाया.
पूरे दिन विधानसभा में हंगामे के बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया. वहीं येदियुरप्पा समेत तमाम बीजेपी विधायक विधानसभा में ही धरने पर बैठ गए.
रातभर सदन में ही रहे बीजेपी विधायक
येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी के विधायक सदन में डटे रहे, यहां तक कि बीजेपी के विधायकों ने सदन में ही अपनी रात काटी और वे सभी वहीं सोए.
बीजेपी प्रदेश प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा है कि जब तक विधानसभा अध्यक्ष राज्यपाल के लेटर का जवाब नहीं दे देते और कुमारस्वामी विश्वास मत पेश नहीं करते, तब तक सभी बीजेपी विधायक सदन में ही रहेंगे. इसका मतलब ये हुआ कि बीजेपी विधायक 18 जुलाई को रातभर सदन में ही रहेंगे. 19 जुलाई सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू होगी.
येदियुरप्पा ने कहा कि सदन में ही खाने-पीने और सोने के लिए बिस्तर का इंतजाम किया गया है. महिला विधायक रात 9 बजे तक ही सदन में रुकेंगी. पुरुष विधायक रातभर यहीं रहेंगे.
राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष से क्या कहा
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने विधानसभा अध्यक्ष से कुमारस्वामी की ओर पेश विश्वास मत प्रस्ताव की प्रक्रिया 18 जुलाई को ही पूरी करने को कहा. जब सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष और सीएम कुमारस्वामी को लेटर लिखकर कहा कि वो 19 जुलाई दोपहर 1:30 बजे सदन में बहुमत साबित करें.
कर्नाटक: राज्यपाल से मिला BJP डेलिगेशन, वोट ऑफ कॉन्फिडेंस को लेकर सौंपा ज्ञापन
इससे पहले राज्य में मुख्य विरोधी दल बीजेपी के एक डेलिगेशन ने राज्यपाल से मुलाकात की. राज्यपाल से अनुरोध किया था कि वो विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दें. इस डेलिगेशन में जगदीश शेट्टार, अरविंद लिंबावली, बसवराज बोम्मई, एसआर विश्वनाथ, एन रविकुमार समेत कई बीजेपी नेता शामिल थे.
बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा, “हमें इस बात की आशंका है कि कहीं इस अल्पमत की सरकार को बचाने की कोशिश की जा रही है…“
विधानसभा सत्र में गैरहाजिर रहे कांग्रेस MLA का बयान दर्ज करने मुंबई पहुंची पुलिस
कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल विधानसभा सत्र में चल रहे विश्वास मत प्रस्ताव में शामिल नहीं हुए. उन्हें मुंबई के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. अब श्रीमंत पाटिल का बयान दर्ज करने के लिए बेंगलुरु पुलिस मुंबई पहुंच गई है. जानकारी के मुताबिक, “पाटिल ने 17 जुलाई को सीने में दर्द और सांस लेने में शिकायत के बाद मुंबई के लिए उड़ान भरी और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.”पाटिल, राज्य के उत्तर पश्चिमी बेलगाम जिले के कागवाड विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह शहर के बाहरी इलाके में देवनहल्ली के पास एक रिजॉर्ट में पार्टी के अन्य विधायकों के साथ ठहरे हुए थे.
कांग्रेस ने अपने विधायक श्रीमंत पाटिल के किडनैप होने की पुलिस से शिकायत की है. कांग्रेस ने शिकायत में लिखा, विश्वास मत से रोकने के लिए बीजेपी विधायक लक्ष्मण सावदी ने उनको किडनैप कर लिया है या गैर-कानूनी तरीके से किसी तरह का प्रतिबंध लगा दिया है. इससे पहले एक तस्वीर सामने आई, जिसमें कांग्रेस विधायक श्रीमंत पाटिल कर्नाटक बीजेपी विधायक लक्ष्मण सावदी के साथ नजर आ रहे हैं. ये तस्वीर 17 जुलाई की चेन्नई एयरपोर्ट की बताई जा रही है.
शक्ति परीक्षण को लेकर हंगामे के बीच विधानसभा स्थगित
विधानसभा में कांग्रेस-जेडीएस विधायकों ने खूब हंगामा किया. विधायकों ने अपने गायब विधायक श्रीमंत पाटिल की तस्वीर दिखाकर प्रदर्शन किया. जिसके चलते स्पीकर को कई बार सदन को स्थगित भी करना पड़ा. विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने सदस्यों से कहा, “मैं सदन को 30 मिनट के लिए स्थगित करता हूं, ऐसा बीजेपी की शक्ति परीक्षण की मांग को लेकर अव्यवस्था के कारण है और कांग्रेस बिना चर्चा के इसका विरोध कर कर रही है.” इस दौरान सत्ताधारी सहयोगी दल के विधायक सदन के वेल में जमा थे.
विधायक श्रीमंत की तस्वीर के साथ सदन में प्रदर्शन करते कांग्रेस विधायककुमारस्वामी ने सुबह 11 बजे विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया और इस पर बोलना शुरू किया. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) नेता सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक प्वाइंट उठाया, जिसमें कोर्ट के आदेश में कहा गया कि सत्ताधारी सहयोगी के 15 बागी विधायक सत्र में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं है और पार्टी व्हिप उन पर लागू नहीं होगा.
करीब 20 विधायकों, जिसमें 15 बागी, दो कांग्रेस सदस्य श्रीमंत पाटिल, बी नागेंद्र, दो निर्दलीय (आर शंकर, एच नागेश) और एक बीएसपी (एन महेश) विधायक के विधानसभा से दूर रहने के साथ बीजेपी सदस्यों ने सत्ताधारी सहयोगियों पर हार के डर से जानबूझकर विश्वासमत परीक्षण में देरी करने का आरोप लगाया.