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पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को हिरासत में मौत के 29 साल पुराने मामले में उम्रकैद

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जामनगर जिला एवं सत्र न्यायालय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह जाला को 1990 में हिरासत में हुई एक मौत के मामले में हत्या का दोषी पाया है। अदालत ने इस मामले में उन्हें गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

मामले में विशेष सरकारी वकील तुषार गोकानी और मधु मेहता ने बताया, “अदालत ने प्रवीण सिंह जाला और संजीव भट्ट को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया और इस तरह उन्हें आईपीसी की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। बाकी आरोपितों को धारा 323 और 506 के तहत दोषी पाया गया।” जज डीएम व्यास ने यह फैसला सुनाया और बाकी पांचों आरोपितों की सजा का इंतजार है।

यह पूरा मामला 1990 का है जब संजीव भट्ट जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली जा रही रथयात्रा के समय जामजोधपुर शहर में एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिये गए व्यक्तियों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की अस्पताल में मौत हो गई थी। आरोप था कि उसकी मौत पुलिस यातना के कारण हुई थी। मृतक के भाई अमृतलाल वैष्णानी द्वारा भट्ट सहित आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिरासत में मौत की शिकायत दर्ज कराई गई थी।

गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी ने अप्रैल में मृतक के भाई द्वारा दायर विशेष आपराधिक आवेदन पर शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया था। उन्होंने निर्देश दिया गया था कि मामले की सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाए। 1988 बैच के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी भट्ट मौजूदा समय में पालनपुर जेल में बनासकांठा के 22 साल पुराने ड्रग प्लांटिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।