आज से 45 साल पहले 18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। यह शांतिपूर्ण परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान राजस्थान के रेगिस्तान क्षेत्र पोखरण में हुआ था। इसका नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था। इसे पोखरण-1 के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का पहला सफल परमाणु बम परीक्षण था। स्माइलिंग बुद्धा ने भारत को दुनिया का छठवां परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना दिया था। इससे पहले अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र थे जो सफलतापूर्वक परमाणु बम परीक्षण कर चुके थे।
आज हम आपको इसका इतिहास और इसके परिणाम बताते हैं :
भारत ने अपना परमाणु कार्यक्रम 1944 में शुरू कर दिया था। भौतिक विज्ञानी राजा रमन्ना ने परमाणु हथियारों पर वैज्ञानिक अनुसंधान का विस्तार और पर्यवेक्षण किया। वह परीक्षण करने वाले वैज्ञानिकों की छोटी सी टीम के पहले डायरेक्टिंग अधिकारी थे जिन्होंने परीक्षण की देखरेख की और इसे अंजाम दिया। पोखरण नाम उस जगह से आया जहां इस परीक्षण को अंजाम दिया गया। यह शहर राजस्थान के जैसलमेर में मौजूद है। राजा रमन्ना के नेतृत्व में 75 वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने 1967 से 1974 तक इसपर कार्य किया। इस टीम में पीके अयंगर, राजगोपाल चिदंबरम भी शामिल थे। यह परीक्षण सफल रहा लेकिन इसके परिणाम उत्साहजनक नहीं थे। यह परीक्षण गुस्से का कारण बन गया और इसपर चिंता जाहिर की जाने लगी क्योंकि यह परमाणु परीक्षण एक ऐसे देश ने किया था जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों से इतर था। यह प्रयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी दिए बिना हुए।
नतीजतन अमेरिका ने बिना किसी चेतावनी के भारत को परमाणु समुदाय में प्रवेश करने से रोकना शुरू कर दिया। इसके बाद भारत को मिलने वाली सहायता रोक दी और कई सारे प्रतिबंध लगा दिए गए। हालांकि जिस उपकरण से परीक्षण किया गया था वह एक फिशन उपकरण था और वातावरण में कोई रेडियोएक्टिव नहीं गया। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भारत 1970 में परमाणु अप्रसार संधि में शामिल नहीं हुआ और उसने दावा किया कि परमाणु परीक्षण शांतिपूर्ण कारणों की वजह से किए गए थे। इसके अमेरिका ने भारत के साथ परमाणु सौदा किया जो यह दिखाता है कि भारत एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र है और इस बात को पूरी दुनिया स्वीकार चुकी है।