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मोक्ष सप्तमी पर बड़ा मंदिर के अवसर पर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया गया

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श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) पार्श्वनाथ भगवान के बेदी के समक्ष प्रतिदिन चल रही श्रमण संस्कृति आध्यात्मिक प्रयोगशाला में 11 अगस्त रविवार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन जैन धर्म के 23 वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव भक्तिभाव पूर्वक मनाया गया। पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि आज जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं और जैन धर्म के अनुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मोक्ष सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दिगंबर जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाने की प्रथा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है वहीं मोक्ष हो जाता है। अत: हमें अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मोहरूपी शत्रु का नाश करना पड़ता है। इसीलिए अत: सभी का सम्मान करना चाहिए। सब बड़ों के प्रति विनय भाव रखना चाहिए, क्योंकि विनय ही मोक्ष का द्वार है। आज प्रातः 8 बजे पार्श्वनाथ भगवान को पाण्डुक क्षीला में विराजमान कर प्रसूक जल से रजत कलशों के माध्यम से अभिषेक किया गया।साथ ही रिद्धि सिद्धि सुखशांति प्रदाता शांति धारा भी की गई। भगवान की संगीतमय आरती कर के सभी ने अष्ठ द्रव्यों से निर्मित अर्घ्य से भगवान का पूजन कर निर्वाण कांड पढ़ कर निर्माण लाडू चढ़ाए। उन्होंने बताया कि पूरा जिनालय पार्श्वनाथ भगवान के जयकारों से गुंजायमान रहा। आज मोक्ष सप्तमी के अवसर पर विशेष रूप से श्रेयश जैन बालू,डॉ देवकुमार जैन,श्रद्धेय जैन विक्की,नीरज जैन,महेंद्र जैन,समित जैन,राशु जैन,राजेंद्र उमट्ठे ,आदेश जैन बंटी ,शैलेंद्र अक्षत जैन,रवि जैन कुम्हारी,सुनील जैन,धीरज जैन,संदीप जैन,लोकेश जैन,सुजीत जैन,ऋषि जैन के साथ महिलाए उपस्थित थी।