दुनिया में कोरोना के अलावा पिछले कुछ दिनों से एक बीमारी ने दहशत फैला रखी है, जिसका नाम है मंकीपॉक्स. मूल रूप से अफ्रीकी देशों की इस बीमारी ने कुछ ऐसा रूप बदला है कि वैज्ञानिक भी हैरान हैं. यूरोप में इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया के बाद अब इसके केस इजरायल में भी मिले हैं. आइए बताते हैं, मंकीपॉक्स से जुड़े 10 अपडेट्स-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि पिछले 10 दिनों में ही अब तक 12 देशों में मंकीपॉक्स के मरीज मिल चुके हैं. 92 मरीजों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है. WHO ने आशंका जताई है कि अभी इसके मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि ये बेहद असामान्य है कि मंकीपॉक्स के मरीज ऐसे देशों में मिल रहे हैं, जहां पहले कभी ये बीमारी नहीं फैली. मंकीपॉक्स प्रभावित इलाकों की यात्रा न करने वालों में ये वायरस मिला एक बहुत ही असामान्य बात है. समलैंगिक पुरुषों में भी इसके केस मिल रहे हैं. इसे देखते हुए डब्लूएचओ ने निगरानी बढ़ाने की बात कही है.मंकीपॉक्स के नए रूप से वैज्ञानिक भी हैरान हैं.
अफ्रीका में कई बार मंकीपॉक्स के प्रकोप की निगरानी कर चुके और WHO के सलाहकार बोर्डों में शामिल रहे वायरोलॉजिस्ट ओयेवाले तोमोरी का कहना है कि ये उस तरह की बीमारी नहीं है जैसा हमने पश्चिम अफ्रीका में देखा है. ऐसे में पश्चिमी देशों में फैल रहा मंकीपॉक्स कुछ अलग हो सकता है.चेचक जैसी बीमारी के मामले पहले केवल मध्य और पश्चिम अफ्रीका से जुड़े लोगों में ही देखे जाते थे, लेकिन पिछले 10 दिन में ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, अमेरिका, स्वीडन और कनाडा जैसे देशों में भी इसके मरीज मिले हैं. इनमें ज्यादातर ऐसे युवा पुरुष हैं, जिन्होंने पहले कभी अफ्रीका की यात्रा नहीं की.
इज़राइल ने शनिवार को मंकीपॉक्स का पहला केस मिलने की पुष्टि की. तेल अवीव के इचिलोव अस्पताल के प्रवक्ता ने एएफपी को बताया कि 30 वर्षीय एक में मंकीपॉक्स वायरस पॉजिटिव मिला है. ये व्यक्ति हाल ही में पश्चिमी यूरोप से मंकीपॉक्स के लक्षणों के साथ लौटा था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि यह व्यक्ति विदेश में मंकीपॉक्स के एक मरीज के संपर्क में आया था. उसमें ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं है. उसे अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है.
स्विट्जरलैंड में भी शनिवार को मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला. अधिकारियों के मुताबिक, बर्न के कैंटन इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण मिले हैं. वह हाल ही में विदेश गया था. उसमें लक्षण गंभीर नहीं है. ऐसे में उसे घर पर ही आइसोलेट किया गया है. उसके संपर्क में आए सभी लोगों को सावधान कर दिया गया है.
भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मरीज नहीं मिला है, लेकिन केंद्र सरकार ने अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. जिन देशों में मंकीपॉक्स के मरीज मिले हैं, वहां से आने वालों पर नजर रखी जा रही है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने जिला प्रशासन से सतर्क रहने, लोगों को जागरूक करने और एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने भी सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों से सतर्कता बढ़ाने को कहा है.यूरोप के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने आगाह किया है कि आने वाले महीनों में मंकीपॉक्स के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि ये वायरस पूरे यूरोप में फैल गया है.
यूरोप के लिए डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक हंस क्लूज ने कहा कि यूरोप में गर्मी का मौसम शुरू हो गया है. इस दौरान सार्वजनिक समारोह, त्योहार और पार्टियां अधिक होती है, ऐसे में इस वायरस के फैलने की आशंका भी बढ़ गई है.मंकीपॉक्स बीमारी 1958 में सबसे पहले एक बंदर में देखी गई थी. मूलतः जानवरों में फैलने वाली इस बीमारी का इंसान में पहला संक्रमण 1970 में मिला था. यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरल बीमारी है. ये संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है. उसके आसपास ज्यादा देर तक रहने से भी ये बीमारी घेर सकती है.
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है. इसके मरीजों में बुखार, दर्द और थकावट जैसे लक्षण दिखते हैं. शरीर पर पहले लाल चकत्ते और फिर फोड़े बन जाते हैं. चेचक जैसे दाने उभर आते हैं. समलैंगिक सेक्स के जरिए भी ये बीमारी चपेट में ले सकती है. इस बीमारी का असर आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहता है. ज्यादातर मरीज खुद ठीक हो जाते हैं.