सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट्स न तो मॉडल पोर्टफोलियो की पेशकश कर सकते और न ही एडवाइजरी सर्विस प्रदान कर सकते हैं. बाजार रेगुलेटर सेबी ने 6 मई, 2022 को पारित एक आदेश में उनकी ऐसी सर्विस पर रोक लगा दी है. सेबी ने अपने से रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट और स्टैलियन एसेट नामक फर्म के प्रोप्रिएटर अमित जेसवानी पर 28.6 लाख रुपये की समझौते राशि का दंड लगाया है.
सेबी के इस आदेश से स्मॉलकेस प्रभावित होने की संभावना है, क्योंकि इस जुर्माने से निवेश एडवाइजर प्रभावित होंगे, जो अपने रिसर्च एनालिस्ट्स के जरिये निवेशकों को क्यूरेटेड पोर्टफोलियो प्रदान करते हैं. सेटलमेंट ऑर्डर के मुताबिक, सेबी ने 4 मई, 2021 को जेसवानी को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसमें रेगुलेटर ने कहा “यह देखा गया है कि एक एनालिस्ट विश्लेषक होने के नाते आवेदक अपने ग्राहकों या संभावित ग्राहकों को मॉडल पोर्टफोलियो प्रोडक्ट बेच रहा था, जो आरए रेग्युलेशन और रिसर्च एनालिस्ट्स प्रोफेशनल स्टैंडर्ड के विपरीत है.
सेबी के कारण बताओ नोटिस में आगे कहा गया है कि फर्म उसके साथ एक निवेश एडवाइजर के रूप में रजिस्टर्ड नहीं था. हालांकि, उसके कॉल डेटा रिकॉर्ड, जिसमें उसके कर्मचारियों ने ग्राहकों को कॉल किए गए थे, देखा गया कि वह फर्म को ग्राहकों को एडवाइजरी सर्विस देने वाली इकाई के रूप में पेश किया था.
कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद जेसवानी ने अपनी गलतियों को स्वीकार किए बगैर 27 अक्टूबर को समझौते के लिए आवेदन किया. उसके बाद सेबी ने 28.6 लाख रुपये की राशि का आदेश पारित किया. साथ ही जेसवानी के फर्म को 3 साल की अवधि के लिए सेबी से कोई अन्य रजिस्ट्रेशन हासिल करने पर रोक लगा दी.
आदेश का विरोध
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप पारेख ने सेबी के आदेश का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा कि मॉडल पोर्टफोलियो की पेशकश कानूनी परिभाषा के भीतर है कि एक रिसर्च एनालिस्ट क्या कर सकता है. सेबी के पास यह साबित करने के लिए कुछ नहीं है कि जेसवानी ने बेईमान की है. इसमें समस्या सिर्फ यह दिखाई देती है कि उनके फर्म ने ग्राहकों के साथ कॉल पर खुद को सलाहकार सर्विस प्रदान करने वाला बताया.
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