आरबीआई (RBI) विकास दर की जगह अब महंगाई (Inflation) पर ध्यान देने के लिए अपने उदार रुख को सख्त बना सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा बोझ आम लोगों पर पड़ेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक अगस्त में नीतिगत दरों यानी रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) में इजाफा कर सकता है. आखिरी बार मई 2020 में नीतिगत दरों में बदलाव हुआ था.
अगर आरबीआई यह रुख अपनाता है तो इससे आपके होम लोन और ऑटो लोन के साथ अन्य विभिन्न प्रकार के लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी. इसका मतलब है कि आपको पहले से ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा. हाल ही में आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लगातार 11वीं बार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट अब भी 4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है.
तीन तिमाहियों में 6 फीसदी से ज्यादा रही महंगाई
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक अगस्त से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर सकता है. आरबीआई ने भी स्पष्ट कहा है कि तीन साल अब वक्त आ गया है कि वह अपने रुख को बदलाव करे. अब समय आ गया है कि वृद्धि के बजाय अब महंगाई दर पर ध्यान दिया जाए. पिछली तीन तिमाहियों से खुदरा महंगाई की दर आरबीआई के ऊपरी दायरे 6 फीसदी से ज्यादा रही है. ऐसे में इस साल की तीसरी तिमाही यानी अगस्त से नीतिगत दर में बढ़ोतरी हो सकती है.
उचित फैसला लेगा आरबीआई
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संजीव मेहता का कहना है कि लगातार 11वीं बार आरबीआई ने उदार रुख अपनाया. इसका स्वागत किया जाना चाहिए. यह लिक्विटिडी प्रबंधन के सामान्य रखने का संकेत देता है ताकि महंगाई आरबीआई के लक्ष्य के दायरे में बनी रहे. आने वाले समय में केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों पर उचित फैसला लेगा.
महंगाई को काबू में रखने के प्रयास कर रहा केंद्रीय बैंक
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद का कहना है कि घरेलू अर्थव्यवस्था पर महंगाई के असर को सीमित करने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार प्रयास कर रहा है. इसके लिए वह विभिन्न मौद्रिक साधनों का उपयोग कर रहा है ताकि आर्थिक विकास की रफ्तार में कोई कमी न आए. साथ ही वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ रही कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों का ज्यादा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर न पड़े.