भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नए वित्त वर्ष की पहली 2 दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक आज से शुरू हो रही है. इस बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास नए वित्तीय वर्ष की पहली मॉनिटरी पॉलिसी का अनावरण शुक्रवार (8 अप्रैल) को करेंगे.
दास के नेतृत्व में 6 सदस्यीय मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की समीक्षा से पहले समझा जा रहा है कि आरबीआई नए वित्त वर्ष के लिए विकास को बनाए रखने और अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश करेगा.
इस मामले से जुड़े जानकारों का मानना है कि आरबीआई की नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. केंद्रीय बैंक ने अपनी पिछली बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रह सकता है.
पिछली 10 बैठकों में दरों में नहीं किया बदलाव
पिछले वित्त वर्ष में पहले कोविड और अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को बुरी तरह से प्रभावित किया. इसलिए, विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि इस बैठक में भी कोई दरों में कोई बदलाव नहीं होगा, जैसा कि इससे पहले की 10 बैठकों में भी दरों को अपरिवर्तित रखा गया था.
इससे पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक इस बार भी ब्याज दरों पर अपनी यथास्थिति को कायम रख सकता है. हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से पनपे भू-राजनैतिक हालातों के चलते केंद्रीय बैंक के रुख में बदलाव की भी संभावना बन रही है. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई दरों पर क्या फैसला लेती है, इसका परिणाम बैठक के बाद पता चल सकेगा.
मुद्रास्फीति का अनुमान संशोधित होने की उम्मीद
इससे पहले रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा था कि अप्रैल 2022 की नीतिगत समीक्षा में कमेटी द्वारा अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान में संशोधित किए जाने की उम्मीद है. इसके अलावा 2022-23 के लिए वृद्धि दर के अनुमानों को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा था- MPC मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ग्रोथ का ‘त्याग’ नहीं करेगी. मध्यम अवधि के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 6 फीसदी के ऊंचे स्तर पर है. ऐसे में एमपीसी का रुख अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में अधिक समय के लिए वृद्धि को समर्थन देने वाला रह सकता है.’’