अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) अब चांद (Moon) पर वाई-फाई नेटवर्क (Wi-Fi Network) लगाने की तैयारी कर रही है. एक हालिया स्टडी में ये जानकारी दी गई है. नासा के ग्लेन रिसर्च सेंटर में डायरेक्टर मैरी लोबो ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि यह आर्टेमिस के तहत चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) को भेजने में आने वाली चुनौतियों और हमारे समाज में बढ़ती समस्याओं का समाधान विकसित करने का एक शानदार मौका है.
वाई-फाई प्रोग्राम को लेकर हालिया स्टडी नासा की कम्पास लैब ने किया है. इन्साइडर से बात करते हुए कम्पास लैब के स्टीव ओल्सन ने कहा कि यह स्टडी बेहद अहम है, क्योंकि आर्टेमिस बेसकैंप से जुड़े क्रू, रोवर्स, विज्ञान और खनन उपकरणों को पृथ्वी से संपर्क में रहने के लिए एक बेहतर कनेक्शन की जरूरत होगी.
नासा ने प्रेस रिलीज में बताया कि डिजिटल असमानता और बेहतर इंटरनेट सेवा तक पहुंच की कमी पूरे अमेरिका में फैली एक सामाजिक आर्थिक चिंता है. एक रिपोर्ट के अनुसार क्लीवलैंड के लगभग 31 फीसदी घरों में ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं है. इससे पहले खबर आई थी कि नासा चांद को लेकर अपने अगले ‘मून मिशन’ शुरुआत करने जा रहा है. इस मिशन का लक्ष्य चांद की सतह पर एक स्थायी क्रू स्टेशन का निर्माण करना है.
इसके लिए किसी अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजने से पहले एजेंसी चंद्रमा के ठंडे, छायादार दक्षिणी ध्रुव पर गोल्फ-कोर्ट के आकार का एक रोबोट लॉन्च कर रही है. इस रोवर का नाम VIPER यानी Volatiles Investigating Polar Exploration Rover होगा. यह रोवर चंद्रमा की सतह पर जल स्रोतों की खोज में 100 दिन बिताएगा. यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ा पहला सर्वे होगा.
चांद का निर्माण 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी और थेया नाम के एक ग्रह के टकराने से बचे अवशेषों से चंद्रमा का निर्माण हुआ था. अपोलो मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री चांद से कुछ टुकड़े लेकर आए थे. ये टुकड़े उसी ग्रह के हैं. चांद का वजन लगभग 81 अरब टन है. चांद पूर्णता गोल नहीं है, यह अंडे के आकार का है.