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भारत के बनाए हाइवे पर तालिबान का कब्जा, पाकिस्तान ने मदद के लिए भेजे लड़ाके

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अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान (Taliban) की क्रूरता बढ़ती जा रही है. तालिबान ने बहुत तेजी से एक-एक करके इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया है. टोलो न्यूज के मुताबिक, तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में भारत के बनाए गए देलाराम-जरांज हाइवे पर भी कब्जा कर लिया है.

ईरान सीमा के पास जरांज पर कब्जा तालिबान के लिए बड़ी रणनीतिक जीत है. ईरान से 217 किलोमीटर लंबे देलाराम-जरांज हाई-वे के जरिए अफगानिस्तान का कारोबार होता है. काबुल के एक वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार इस पर कब्जा अफगान सरकार के लिए एक बड़ा झटका है. इस कब्जे के बाद इस रास्ते के जरिए होने वाली कारोबारी गतिविधियां तालिबान के हाथ में आ जाएंगी.

5 दिनों में इन राजधानियों पर तालिबान का कब्जा
तालिबान ने देश के बाहरी हिस्सों पर कब्जे के बाद अब प्रांतों की राजधानियों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है. बीते 5 दिनों में तालिबान ने पांच प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है. उत्तर में कुंदूज, सर-ए-पोल और तालोकान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया. ये शहर अपने ही नाम के प्रांतों की राजधानियां हैं.

दक्षिण में ईरान की सीमा से लगे निमरोज प्रांत की राजधानी जरांज पर कब्जा कर लिया है. उजबेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सीमा से लगे नोवज्जान प्रांत की राजधानी शबरघान पर भी भीषण लड़ाई के बाद तालिबान का कब्जा हो गया है

तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तान ने भेजे लड़ाके-अफगान सरकार
इस बीच अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमीरुल्ला सालेह के प्रवक्ता रिजवान मुराद कहते हैं, ‘हमने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया है कि तालिबान और उसकी समर्थक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने मदरसों से 20,000 से अधिक लड़ाके अफगानिस्तान पहुंचाए हैं. तालिबान के अल कायदा और दूसरे अन्य कट्टरपंथी समूहों से भी संबंध हैं. हमारे सैनिक कम से कम 13 आतंकवादी समूहों के खिलाफ लड़ रहे हैं.’

दांव पर लगा भारत का 300 करोड़ डॉलर का निवेश
बता दें कि भारत सरकार ने पिछले 20 साल में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, डैम, बिजली प्रोजेक्ट्स समेत कई प्रोजेक्ट्स में करीब 3 बिलियन यानी 300 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. वहां भारतीय निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए 2002 मार्च में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में अपने दूतावास का विस्तार किया था.

काबुल के अलावा मज़ार-ए-शरीफ़, हेरात, कंधार और जलालाबाद में भी वाणिज्य दूतावास खोले थे. अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में 400 से अधिक प्रोजेक्ट्स हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह जानकारी जिनेवा के अफगानिस्तान सम्मेलन में दी थी. आज तालिबान के बढ़ते हमले से इनका भविष्य अधर में लटक गया है.