Sawan 2021: तक्षकेश्वर नाथ मंदिर, कुंभ नगरी प्रयागराज में यमुना के किनारे दरियाबाद में स्थित है. मान्यता है कि यहां शिव धाम के दर्शन और पूजन से कई दोषों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
Takshkeshwar Nath Temple: सावन का महीना शुरू होते ही शिव मंदिरों में शिव भक्तों के द्वारा महादेव की पूजा अर्चना शुरू कर दी गई है. भक्त पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना कर रहें हैं, और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना भी कर रहें हैं. इन्हीं शिव मंदिरों में से एक तक्षकेश्वर नाथ मंदिर भी है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयाग जिले में यमुना नदी के किनारे दरियाबाद में स्थित है. यह पावन स्थान संपूर्ण सर्पजाति के स्वामी श्री तक्षक नाग का है. मान्यता है कि रुद्रलोक के नागों के प्रमुख श्री तक्षक की सावन मास में विधि पूर्वक उपासना करने से सभी दोष और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं.
कृष्ण के काल से जुड़ी है तक्षकेश्वर नाथ मंदिर की कथा
तक्षकेश्वर नाथ मंदिर के पास यमुना नदी में तक्षकेश्वर कुंड है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये गए तक्षक नाग ने इसी कुंड में आकार शरण ली थी. कहा जाता है कि सतयुग के श्री शेषनाग, त्रेतायुग के अनंतनाग, द्वापर में श्री वासुकी और कलयुग में तक्षक नाग ही प्रमुख पूजनीय हैं.
तक्षकेश्वर नाथ मंदिर पूजा से दूर होते हैं सभी तरह के दोष
तक्षकेश्वरनाथ के इस पावन धाम को कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सिद्ध धाम माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है. वे इसके निवारण के लिए किसी भी मास के शुक्लपक्ष की पंचमी, विशेष नक्षत्र, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण या फिर विशेष वार को इस धाम पर आते हैं. माना जाता है कि इस धाम के दर्शन मात्र से राहु की महादशा, नागदोष एवं विषबाधा से मुक्ति मिलती है.
पितरों के लिए होता है पिंडदान
पद्म पुराण के अनुसार अगहन और श्रावण मास की पंचमी को तक्षक कुंड में स्नान कर भगवान तक्षकेश्वरनाथ की पूजा करने से समस्त कुल की विषबाधा दूर होती है. जो लोग अगहन और सावन के मास में नहीं आ सकते हैं. वे किसी भी मास की या सभी मास की शुक्ल पंचमी को इनका दर्शन कर सकते हैं. इनके दर्शन से परिवार के किसी भी सदस्य को भविष्य में सांप, बिच्छु, आदि के काटने का भय समाप्त हो जाता है. घर परिवार में सुख-समृद्धि के साथ-साथ सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. यह भी मान्यता है कि तक्षकेश्वरनाथ धाम में पिंडदान करने पर पूर्वज किसी भी लोक अथवा योनि में हो, वो मुक्त हो जाते हैं.