सोनीपत। हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी संयुक्त किसान मोर्चा ने 7 दिनों के लिए निलंबित कर दिए हैं। चढ़ूनी पिछले कई दिनों से किसान आंदोलनकारियों से पंजाब के चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। उनका कहना था कि, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल पंजाब के किसान संगठनों को अगले साल राज्य के विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए, ताकि किसानों की अपनी सरकार बन जाए और फिर कानूनों को लागू होने से रोका जा सके।
मगर, संयुक्त किसान मोर्चा चढ़ूनी के बयान से सहमत नहीं था। संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं ने चढ़ूनी के बयान को उनकी व्यक्तिगत राय बताया था। वहीं, चढ़ूनी के जिद पर अड़े रहने की वजह से केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में 7 महीने से चला आ रहा आंदोलन आपसी मतभेद से जूझने लगा। यही वजह रही कि, मिशन पंजाब की जिद पर अड़े हरियाणा से भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा एक सप्ताह के लिए सस्पेंड कर दिया गया है।
‘मिशन पंजाब’ नहीं ‘मिशन यूपी’
चढ़ूनी को सस्पेंड किए जाने के दौरान सिंघू बॉर्डर धरना-स्थल के पास संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने पत्रकारों से कहा कि चढ़ूनी कई मौकों पर ऐसा नहीं करने के लिए कहे जाने के बावजूद “मिशन पंजाब” के बारे में बयान दे रहे थे। जबकि हम केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं। हम कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं।”
राजेवाल ने कहा, “उनकी जिद की वजह से, हमने उन्हें सात दिनों के लिए निलंबित करने का फैसला किया। अब वह कोई बयान या मंच साझा नहीं कर पाएंगे। उन पर ये प्रतिबंध लगाए गए हैं।” .
हालांकि, चढ़ूनी अपने बयान पर अड़े रहे और कहा कि एक विचार रखने के लिए उन्हें निलंबित करना गलत था। साथ ही किसान नेता ने कहा कि, वह फैसले का पालन करेंगे और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में अहम भूमिका निभाते रहेंगे।
‘चढ़ूनी को चेतावनी दी गई थी’
पत्रकारों के सवालों के जवाब में राजेवाल ने कहा कि, चढ़ूनी पंजाब में किसान यूनियनों के नेताओं को राजनीतिक रास्ता अपनाने के लिए कह रहे हैं। मगर, हम उनसे कह रहे थे कि हमारा ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। बाद में पंजाब के नेताओं ने उनके बयानों की शिकायत की और मंगलवार को एक बैठक हुई। आज (संयुक्त मोर्चा की) आम सभा ने उन्हें सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया।”
गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले, चढ़ूनी ने कहा था कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल पंजाब के संगठनों को पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि हमारी सरकार “सिस्टम को कैसे बदला जा सकता है, इस पर एक मॉडल पेश करेगी।”
चढ़ूनी द्वारा “मिशन यूपी” की तर्ज पर “मिशन पंजाब” के विचार का सुझाव देने के बाद, हरियाणा और पंजाब के कई भाजपा नेताओं ने किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा था कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह आंदोलन राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए है।
बता दिया जाए कि, संयुक्त मोर्चा ने सितंबर में उत्तर प्रदेश में ‘महापंचायत’ और अन्य गतिविधियों की योजना बनाई है।
मैंने जो कहा, उस पर कायम हूं, फैसले का पालन करूंगा: चढ़ूनी
अपने निलंबन पर बोलते हुए, चढ़ूनी ने कहा, “मैंने एक राय व्यक्त की थी- “मिशन पंजाब” तो इसके लिए आप किसी को विचार व्यक्त करने या विचार रखने से नहीं रोक सकते। हर कोई अलग सोच सकता है। लेकिन इस आधार पर किसी को निलंबित करना गलत है।”
दरअसल, चढ़ूनी ने पिछले हफ्ते पंजाब के गुरदासपुर से सिंघू सीमा तक किसानों के एक बड़े समूह का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा था कि,”हम पंजाब के चुनाव लड़ने की तैयारी करें। किसान खुद उम्मीदवार बनें..ताकि जीतकर सरकार बनाई जा सके। तो मैंने जो निर्णय लिया, मुझे उससे कोई समस्या नहीं है। मेरा स्टैंड अभी भी वही है कि हमें मिशन पंजाब चलाना चाहिए।”
चढ़ूनी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि, “पंजाब में, प्रदर्शनकारियों (कृषि कानूनों के खिलाफ), ईमानदार लोगों, मजदूरों, किसानों और छोटे दुकानदारों को अपनी सरकार बनानी चाहिए और पारंपरिक पार्टियों को हराना चाहिए। और ऐसा करके इसे देश के सामने एक मॉडल पेश करना चाहिए। आज, हमें एक पार्टी से दूसरी पार्टी को सत्ता में बदलने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें सिस्टम को बदलना होगा और सिस्टम को सत्ता से बदला जा सकता है।”
चढ़ूनी ने यह भी कहा कि वह जारी किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान संगठनों में किसी प्रकार का विभाजन है। आंदोलन जोरदार तरीके से चल रहा है।
वहीं, चढ़ूनी के बयान से इतर राजेवाल ने कहा कि, उनका अगला कदम “मिशन यूपी और उत्तराखंड” होगा। अगले कुछ महीनों में अपनी रणनीति के तहत हमारा अगला लक्ष्य उत्तराखंड और यूपी में अपने आंदोलन को मजबूत करना है। 1-25 अगस्त तक, हम जिलों में बैठकें करेंगे। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में ‘महापंचायत’ होगी।”