नई दिल्ली: फादर स्टेन स्वामी के मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आलोचनाओं को भारत ने मंगलवार को खारिज कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि संबंधित अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाते हैं और कानूनी अधिकारों को नहीं रोकते हैं. वह विचाराधीन कैदी थे जिनकी सोमवार को मौत हो गई.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध है . देश की लोकतांत्रिक नीति स्वतंत्र न्यायपालिका एवं राष्ट्रीय तथा कई राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोगों के अनुरूप है.
एल्गार परिषद् मामले में पिछले वर्ष अवैध गतिविधियां (निवारण) कानून के तहत गिरफ्तार स्टेन स्वामी की सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाते हैं न कि किसी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ. इस तरह की सारी कार्रवाई कानून के अनुसार हैं.’ विदेश मंत्राल के प्रवक्ता ने कहा कि स्वामी के स्वास्थ्य और उपचार पर अदालतों की नजर थी और स्वास्थ्य खराब होने के चलते पांच जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई.
इससे पहले मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने कहा कि 84 वर्षीय कार्यकर्ता की मौत की खबर से वह ‘काफी दुखी एवं निराश’ है जिनके खिलाफ अभी अदालत में मामलों की सुनवाई चल रही थी.
उल्लेखनीय है कि स्वामी को NIA ने एल्गार परिषद मामले के सिलसिले में अक्टूबर 2020 में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत रांची से गिरफ्तार किया था. उन्हें नवी मुंबई स्थित तलोजा सेंट्रल जेल में रखा गया था.