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मंत्रिमंडल ने बिजली कंपनियों के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपये की सुधार योजना को मंजूरी दी

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 3.03 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक सुधार-आधारित और परिणाम से जुड़ी, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति दे दी है. इस योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्स के अलावा सभी डिस्कॉम्स/विद्युत विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है.

यह सहायता पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ वित्तीय सुधारों से जुड़े निर्धारित मूल्यांकन ढांचे के आधार पर मूल्यांकित किए गए डिस्कॉम द्वारा बुनियादी स्तर पर न्यूनतम मानकों की उपलब्धि हासिल करने पर आधारित होगी. योजना का कार्यान्वयन सभी के लिए अनुकूलएक व्यवस्था ²ष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना पर आधारित होगा.

इस योजना का परिव्यय 3,03,758 करोड़ रुपये होगा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये का अनुमानित जीबीएस होगा. यह प्रस्तावित है कि जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पीएमडीपी 2015 के साथ आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई की योजनाओं के तहत वर्तमान में जारी स्वीकृत परियोजनाओं को इस योजना में शामिल किया जाएगा और उनकी जीबीएस की बचत (लगभग 17,000 करोड़ रुपये) मौजूदा नियमों और शर्तों के तहत 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने तक पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना के कुल परिव्यय का हिस्सा होंगी.

इन योजनाओं के तहत धनराशि को आईपीडीएस के तहत और पहचान की गई परियोजनाओं के लिए और 31 मार्च, 2023 तक आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई के तहत केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हेतु प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत चल रही स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

यह योजना वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी. योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए आरईसी और पीएफसी को नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है.