कोरोना वायरस की वजह से जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा की ओर से ‘दरबार मूव’ की 149 साल पुरानी परंपरा को खत्म करने की घोषणा के कुछ दिनों बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आज बुधवार को जम्मू और श्रीनगर की जुड़वां राजधानियों में सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधा की व्यवस्था को रद्द कर दिया है.
संपदा विभाग के आयुक्त सचिव एम राजू की ओर से जारी आदेश के अनुसार अधिकारियों को 21 दिनों के भीतर जम्मू और श्रीनगर में अपने-अपने सरकारी क्वार्टर खाली करने को कहा गया है.
उपराज्यपाल ने 20 जून को ऐलान किया था कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन पूरी तरह से ई-ऑफिस में परिवर्तित हो गया है, जिससे साल में 2 बार होने वाले ‘दरबार मूव’ की परंपरा खत्म हो गई है.
उन्होंने बताया कि अब जम्मू और श्रीनगर दोनों सचिवालय सामान्य रूप से 12 महीने तक काम कर सकते हैं. इससे सरकार को हर साल करीब 200 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिसका उपयोग वंचित वर्गों के कल्याण के लिए किया जाएगा.
क्या है दरबार मूव?
‘दरबार मूव’ की परंपरा 1872 से जम्मू-कश्मीर प्रशासन का एक हिस्सा रही है जब इसे महाराजा गुलाब सिंह द्वारा शुरू किया गया था. श्रीनगर जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी जबकि जम्मू शीतकालीन राजधानी हुआ करता था. जम्मू में सर्दियों के छह महीने और श्रीनगर में गर्मियों के दौरान प्रशासन काम करता था.
इस कारण, जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर में और जम्मू में श्रीनगर के कर्मचारियों को आवासीय आवास आवंटित किए गए थे. राजभवन, नागरिक सचिवालय और अन्य प्रमुख कार्यालयों को चरणों में जुड़वां शहरों में स्थानांतरित किया जाता था, जिस पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च हुआ करते थे.
संपदा विभाग के आयुक्त सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि श्रीनगर और जम्मू में अधिकारियों के आवासीय आवास के आवंटन को रद्द करने की मंजूरी दे दी गई है. आदेश में कहा गया है कि कर्मचारी और अधिकारी 21 दिनों के भीतर जुड़वां राजधानी शहरों में सरकार द्वारा आवंटित अपने आवासीय आवास को खाली कर दें.