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छत्तीसगढ़ की संस्कृति में हमेशा से जुड़ी हुई है जैव विविधता की महत्ता: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ जैव विविधता के मामले में एक सम्पन्न राज्य है। यहां की वैभव पूर्ण संस्कृति में हमेशा से ही जैव विविधता की महत्ता जुड़ी हुई है। इसे प्रदेश ही नहीं अपितु राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के महत्वपूर्ण कार्य में हम सबको आगे आने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल आज अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम में जैव विविधता की पांच श्रेणियों में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित किया। साथ ही इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा निर्मित डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘मेहमान परिंदे‘ का लोकार्पण किया और बोर्ड द्वारा ही प्रकाशित फ्लोरल डायर्वसिटी ऑफ छत्तीसगढ़, बटरफ्लाई ऑफ भोरमदेव वाईल्ड लाईफ‘ और ‘स्नेक्स एण्ड अदर रेपटाईल्स ऑफ छत्तीसगढ़‘ पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने इस अवसर पर सभी लोगों को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की बधाई दी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में जैव विविधता को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है। यही वजह है कि पूरी दुनिया वर्ष 1992 से 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाती है। जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में दुनिया भर में चल रहे प्रयासों के बावजूद यह शब्द आम तौर पर जन सामान्य के लिए अपरिचित सा है। यह शब्द भले ही नया हो, लेकिन यह विचार हमारे लिए नया नहीं है। यह विचार हमारी संस्कृति में सदियों से रचा-बसा हुआ है। जिसमें प्रत्येक प्राणी के संरक्षण तथा संवर्धन का महत्वपूर्ण संदेश और शिक्षा निहित है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की जैव विविधता न केवल इस प्रदेश के लोगों की बल्कि पूरी मानवता की धरोहर है। इसे बचाए रखने के लिए ही राज्य में जैव विविधता बोर्ड का गठन किया गया है। इसके अलावा राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में 12 हजार से अधिक जैव विविधता प्रबंधन समितियां कार्य कर रही हैं। साथ ही राज्य के जैव विविधता का दस्तावेजीकरण का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता का अर्थ पशु-पक्षियों, वनस्पतियों आदि के संरक्षण के साथ-साथ सांस्कृतिक परंपराओं का भी संरक्षण है। अतएव हम सभी जैव विविधता के महत्व को समझें और इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए आगे आएं। साथ ही यहां राज्य में उपलब्ध संसाधनों को प्रदेश ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएं।

इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि जैव विविधता के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूरी दुनिया में 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में 44 प्रतिशत भू-भाग वन सम्पदा से आच्छादित है और यह राज्य जैव विविधता की दृष्टि से भी परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मानव और प्रकृति के बीच अटूट संबंध है और हमारा जीवन एक-दूसरे पर आश्रित है। इसे ध्यान में रखते हुए जैव विविधता का संरक्षण और संवर्धन जरूरी है। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव वन श्री मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी तथा बोर्ड के सदस्य सचिव श्री अरूण पाण्डेय द्वारा राज्य में जैव विविधता के संबंध में बोर्ड के कार्यकलापों तथा संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि वर्तमान में राज्य के 27 ऐसे वेटलैंड का चयन किया गया है, जिनमें प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में आते हैं। इनमें से 4 बेलौदी, चीचा, अचानकमार एवं सांकरा दुर्ग जिले में 03 गिधवा परसदा एवं मुरकुटा बेमेतरा जिले में तथा 5 बरबंदा, मांढर, खरोरा, बंगोली व कोसरंगी रायपुर जिले में हैं। इस तरह प्रथम चरण में इन तीनों जिले के 12 वेटलैंड में कार्य प्रारंभ करने हेतु सर्वे आदि का कार्य प्रगति पर है।

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आज आयोजित कार्यक्रम में जैव विविधता की पांच श्रेणियों में जिन व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इनमें वन्यप्राणियों के संरक्षण श्रेणी के अंतर्गत ‘रायपुर सर्प संरक्षण समूह‘ तथा धमतरी वाईल्ड लाईफ फेयर सोसायटी और नोवा नेचर वाईल्ड लाईफ सोसायटी शामिल है। इसी तरह पालतू प्रजातियों के संरक्षण श्रेणी में राज्य पुलिस श्वान प्रशिक्षण केन्द्र 7वीं वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, भिलाई, जैव संसाधनों का पोषणीय उपयोग श्रेणी में श्री प्रभात दुबे अंबिकापुर, सभ्यता, संस्कृति एवं धरोहर से जैव विविधता संरक्षण श्रेणी में जंगोरायतार विद्या केतुल शिक्षण संस्था एवं नैसर्गिक पर्यावरण शिक्षा निकेतन ज्ञान बाडा दमकसा और श्रेष्ठ जैव विविधता प्रबंधन समिति में जैव विविधता प्रबंधन समिति गिधवा एवं जैव विविधता प्रबंधन समिति परसदा शामिल हैं।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन श्री मनोज पिंगुआ तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री अरूण पाण्डेय उपस्थित थे। कार्यक्रम में सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत और समस्त मुख्य वन संरक्षक तथा वन मण्डलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े हुए थे।