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हर बार क्यों फेल होते हैं CRPF के नलिन प्रभात:​​​​​​​दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में 76 जवान शहीद हुए तब DIG थे IPS नलिन, अब बीजापुर एनकाउंटर के समय IG नक्सल ऑपरेशन

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में करीब 11 साल पहले CRPF के 76 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। उस समय CRPF के DIG नलिन प्रभात थे। अब शनिवार को ठीक ऐसे ही एनकाउंटर में 23 जवान शहीद हुए हैं, तो नलिन प्रभात IG नक्सल ऑपरेशन हैं। उस समय नलिन प्रभात को ताड़मेटला कांड में जिम्मेदार मानकर इनक्वायरी भी की गई थी। अब सवाल यह है कि गलत ऑपरेशन, सर्चिंग पर फोर्स को भेजने की जिम्मेदारी किसकी है?

सवाल यह भी है कि क्या CRPF और दूसरे सुरक्षाबलों का इंटेलिजेंस क्या इतना कमजोर है कि 250 से ज्यादा नक्सलियों के जमावड़े की सूचना 20 दिन में भी उन तक नहीं पहुंची। ये सिर्फ दो मामले नहीं है। बस्तर की धरती रोज जवानों के खून से लाल हो रही है और इसका एक ही कारण दिख रहा है, फोर्स के बड़े आफिसर्स की प्लानिंग, एक्जिक्यूशन, ग्राउंड कनेक्ट और इंटेलिजेंस में बड़ी लापरवाही।

पहली कोर्ट ऑफ इनक्वायरी में दोषी पाए गए थे नलिन
6 अप्रेल 2010 को दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में नक्सलियों ने CRPF के जवानों को ऐसे ही घेरकर मारा था। चिंतलनार कैंप के 150 जवानों को DIG नलिन प्रभात ने ही आदेश देकर 72 घंटे के एरिया सैनिटाइजेशन के लिए निकलने कहा था। यह टुकड़ी तीसरे दिन वापस लौट रही थी तो रास्ते में एंबुश लगाकर बैठे नक्सलियों ने पहले विस्फोट से एक पुलिया उड़ाई और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग से 76 जवानों को मौत के घाट उतार दिया।

इस मामले की कोर्ट आफ इनक्वायरी और गृह मंत्रालय की राममोहन कमेटी दोनों जांच हुई। जांच में तत्कालीन CRPF IG रमेश चंद्रा, DIG नलिन प्रभात, 62 बटालियन के कमांडर एके बिष्ट और इंस्पेक्टर संजीव बांगड़े दोषी पाए गए। इन पर पर्याप्त सुरक्षा के बिना एरिया सैनिटाइजेशन के फोर्स को भेजने, क्षेत्र के जानकार कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट को साथ नहीं भेजने जैसे आरोप लगे। इन चारों अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। दूसरी कोर्ट आफ इनक्वायरी शुरू हुई।

तब CRPF का वायरलेस सेट था अब सुनियोजित जानकारी
ताड़मेटला कांड की जांच कमेटी की रिपोर्ट में था कि नक्सलियों के पास CRPF का वायरलेस सेट था। इससे वे फोर्स के मूवमेंट की पूरी जानकारी रख रहे थे। इसी के जरिए उन्हें फोर्स के चिंतलनार कैंप वापस लौटने की तारीख, रास्ता, समय पता चल गया था। ऐसे ही शनिवार को बीजापुर के जोनागुड़ा में नक्सलियों ने सुनियोजित जानकारी देकर फोर्स को फंसाया। नक्सलियों ने अपना लोकेशन खबरियों के हाथ अधिकारियों तक पहुंचा दिया। अधिकारियों ने जवानों को जोनागुड़ा पहुंचने कहा जाने लगा।

अब क्या कहेंगे नलिन प्रभात
ताड़मेटला कांड के बाद नलिन प्रभात ने कहा था, कि उन्होंने अपने IG को जानकारी देकर जवानों को भेजा था। यह भी कहा था कि जो डिप्टी कमांडेंट फोर्स के साथ गया था वह करीब 6 माह बटालियन में रहकर आया था। उसे लोकल रूट व स्थानीय नक्शे की जानकारी थी, लेकिन वह अपना काम नहीं कर सका। आज नलिन खुद नक्सल आपरेशन के IG हैं। इंटेलिजेंस समेत पूरी जिम्मेदारी उन पर ही है। कोई महत्वपूर्ण आपरेशन उनकी इजाजत के बिना नहीं हो सकता। अब वह क्या कहेंगे यह देखने वाली बात है।

बिना जांच के नहीं बताया जा सकता कि चूक कहां हुई
नक्सल ऑपरेशन सहित कई जिम्मेदारियां उठा चुके एक रिटायर्ड डीजी का कहना है कि किसी भी मुठभेड़ में कहां चूक हुई यह बिना विस्तृत जांच के नहीं बताया जा सकता। कई बार चूक इंटेलिजेंस की भी होती है और कई बार ग्राउंड पर क्या परिस्थितियां हैं। जब मुठभेड़ हो रही थी तो कहां से एंबुश तोड़ा जाना था ,क्या पोजीशन थी यह सब बातें बहुत काउंट करती हैं। हमारे जवान विपरीत परिस्थितियों में लड़ाई कर रहे हैं। वह पूरी साहस के साथ छिपे हुए नक्सलियों से निपट रहे हैं उनकी शहादत को सलाम।