नई दिल्ली: इजरायल दूतावास के बाहर हुए धमाके के बाद दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसी मोसाद एक्शन में आ गई है। इजराइल की सुरक्षा दुनिया में सबसे अभेद्य मानी जाती है। उसकी सबसे बड़ी वजह है, उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद। मोसाद दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी मानी जाती है। पूरी दुनिया इसके एजेंट्स से खौफ खाती है।
ये अपने दुश्मन को दुनिया के किसी भी कोने से निकालकर खत्म कर सकते हैं। मोसाद के खतरनाक एजेंट्स ने ऐसे ऐसे कारनामों को अंजाम दिया है कि दुनिया में इसके नाम का खौफ बोलता है। इजरायल के दुश्मन उसकी तरफ आंख उठाने में डरते हैं तो इसके पीछे है मोसाद का मजबूत नेटवर्क।
मोसाद का इतिहास…
मोसाद का इतिहास 63 साल पुराना है। मोसाद यानी इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन इजरायल की नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी है। मोसाद की स्थापना 13 दिसंबर 1949 को ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूशन फॉर को-ऑर्डिनेशन’ के बतौर हुई। इसका हेडक्वार्टर तेल अवीब में है। मोसाद का प्रमुख सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
मोसाद का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ लड़ना, देश के लिए खुफिया जानकारी एकत्रित करना और राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देना है। इस काम के लिए इसके एजेंट्स को खुली छूट होती है। वो किसी भी स्तर पर जाकर अपने काम को अंजाम दे सकते हैं। कानून के आगे जाकर भी मोसाद के एजेंट्स अपनी काम करने के दौरान किसी भी तरह की बंदिश नहीं मानते। ऐसे मामले भरे पड़े हैं जब मोसाद के एजेंट्स ने देश क्या अंतर्राष्ट्रीय कानून की अऩदेखी करके अपने काम को अंजाम दिया।
द्वितीय विश्वयुद्ध में यहूदियों के नरसंहार के जिम्मेदार नाजी जर्मन अधिकारियों को मोसाद के एजेंट्स ने चुन-चुनकर मारा था। यहां तक की दूसरे देशों में पनाह लिए नाजी अधिकारियों की भी हत्याएं करवाई। एक ऐसे ही नाजी जर्मन अधिकारी को अर्जेंटीना में घुसकर अगवा किया गया था और फिर उसे इजरायल लाकर सजा दी थी।
इजरायल की इस खुफिया एजेंसी के बारे में कहते हैं कि एक बार जो मोसाद की हिट लिस्ट में आ गया। उसका बचना नामुमकिन हो जाता है। एक खुफिया एजेंसी के तौर पर इसका जितना नाम है ये अपने काम करने के तरीके को लेकर उतना ही बदनाम है।