रोगी के शरीर से कोरोना को निकालकर स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन का कवच बना है। इस वजह से वैक्सीन को अधिक कारगर माना जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने कोरोना का स्ट्रेन निकालकर भारत बायोटेक को दिया। उसी पर यह वैक्सीन तैयार की गई है।
कोवाक्सिन वैक्सीन के पहले ट्रायल की रिपोर्ट ब्रिटेन के प्रख्यात इंटरनेशनल जर्नल लांसेट में प्रकाशित हो गई है। इससे कोवाक्सिन की चर्चा विश्व स्तर पर विज्ञानियों के बीच हो रही है। लांसेट जर्नल में प्रथम ट्रायल की रिपोर्ट के मुताबिक स्वदेशी वैक्सीन कारगर है और इसके साइड् इफेक्ट्स सामान्य हैं।
इसके लगने के बाद ज्यादातर लाभार्थियों को इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर चुभन महसूस हुई है।
इसके अलावा कोई गंभीर लक्षण नहीं आया है। इसके अलावा कुछ लोगों ने सुस्ती, मिचली और कुछ ने हल्का बुखार रहने की बात बताई। यह भी सामान्य वैक्सीन जैसे ही साइड इफेक्ट्स हैं।
रिपोर्ट में कोई खतरनाक साइड इफेक्ट नहीं बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 13 और 30 जुलाई के बीच इसकी स्क्रीनिंग हुई थी। 827 लोगों को स्क्रीन किया गया। 17 लोगों ने इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर दर्द बताया। 13 लोगों ने सिरदर्द बताया और 11 लोगों ने वैक्सीन लगने के बाद थकन बताई। इसके अलावा नौ लोगों ने हल्का बुखार और सात लोगों ने जी मिचलाना बताया। कुल मिलाकर कोवाक्सिन में गंभीर साइड इफेक्ट नहीं आया। एक व्यक्ति ऐसा भी था जो वैक्सीनेशन के पांच दिन बाद पॉजिटिव आया।
कोवाक्सिन के पहले ट्रायल की रिपोर्ट इंटरनेशनल ब्रिटिश जर्नल लांसेट पर प्रकाशित हुई है। यह बहुत बड़ी बात है। इससे स्वेदशी कोवाक्सिन को विश्व समुदाय में स्वीकार्यता मिलेगी। कोवाक्सिन के नतीजे बहुत अच्छे हैं और यह कोरोना से बचाव के लिए अधिक प्रभावी रहेगी।