नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है, दिल्ली की कालिंदी कुंज सड़क पिछले 70 दिनों से बंद है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 26 फरवरी को सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सड़क प्रदर्शन के लिए नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी माहौल इस केस की सुनवाई के लिए ठीक नहीं है।
शाहीन बाग केस की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायलय ने मध्यस्थों से कहा कि हमने उनकी रिपोर्ट देखी है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आप पुलिस के खिलाफ ऐसा नहीं कर सकते हैं, दिल्ली में जारी हिंसा में पुलिस बल के कॉन्स्टेबल की मौत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में विचार नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए वातावरण ठीक नहीं है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हुई है ये बेहद गंभीर विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि “सार्वजनिक जगह” प्रदर्शन की जगह नहीं होती है।
वहीं सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि पुलिस अपना काम करे। कभी कभी परिस्थिति ऐसी आ जाती है कि आउट ऑफ द बॉक्स जा कर काम करना पड़ता है। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, “जिस पल एक भड़काऊ टिप्पणी की गई, पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी, दिल्ली ही नहीं, इस मामले के लिए कोई भी राज्य हो। पुलिस को कानून के अनुसार काम करना चाहिए। ये दिक्कत पुलिस की प्रोफेशनलजिम में कमी की है। अदालत ने कहा कि 13 जिंदगी कम नहीं हैं।
इस बीच वरिष्ठ वकील वजाहत हबीबुल्लाह और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के साथ बहादुर अब्बास नकवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है। इस याचिका में शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की गई है।
वार्ताकारों की रिपोर्ट से पहले शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने के लिए चल रहे प्रयासों में शामिल वजाहत हबीबुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने सड़क को खोलने के लिए समाधान सुझाए हैं। हलफनामे में कहा गया है कि आस-पास की कुछ सड़कों पर लगे बैरिकेड्स हटाने से स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है।