Home समाचार भारत के हाथ लगा खजाना, चीन को देगा ऐसे मात…

भारत के हाथ लगा खजाना, चीन को देगा ऐसे मात…

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इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार काफी कोशिशें कर रही है। इतना ही नहीं बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर ऑटोमोबाइल कंपनियां भविष्य में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों पर अधिक जोर दे रही हैं। यहीं कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत अगले साल तक ऐसे स्टेशनों की संख्या 700 की जाएगी।ई-व्हीकल का इस्तेमाल बढ़ाने में मि‍लेगी बड़ी मदद

इसी बीच इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर एक और खबर सामने आई है। जी हां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का भंडार बेंगलुरु से लगभग 100 किलोमीटर दूर मांड्या में मिला है। इससे देश में ई-व्हीकल का इस्तेमाल बढ़ाने में बड़ी मदद मिल सकती है। इस तरह हम ये कह सकते है कि भारत के हाथ खजाना लगा है, जो कि चीन को मात देने का काम करेंगी। जानकारी दें कि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह भंडार 14,100 टन का हो सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में एमिरेट्स प्रोफेसर और बैटरी टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट का कहना हैं कि अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक मांड्या में आधा से 5 किलोमीटर तक के दायरे में लगभग 30,300 टन एलआई20 उपलब्ध होने का अनुमान है, जो लिथियम मेटल के लगभग 14,100 टन के बराबर है।

दूसरे देशों के मुकाबले भारत में मिला भंडार कम

जानकारी दें कि दूसरे देशों में मौजूद लिथियम के भंडार के मुकाबले भारत में मिला भंडार कम है। एक्सपर्ट की मानें तो अगर हम चिली में 86 लाख टन, ऑस्ट्रेलिया में 28 लाख टन, अर्जेंटीना में 17 लाख टन, पुर्तगाल में 60,000 टन के भंडार से तुलना करें तो 14,100 टन अधिक नहीं है। मालूम हो कि भारत अभी लिथियम की अपनी पूरी जरूरत का आयात करता है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने लिथियम बैटरी का तीगुना आयात किया था। यह 1.2 अरब डॉलर था। पिछले साल नवंबर तक भारत ने 92.9 करोड़ डॉलर का आयात किया था। जानकारों का कहना है कि भारत को एनर्जी की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लिथियम चाहिए।

लिथियम आयन बैटरियों के लिए 10 बड़ी फैक्ट्रियां बनाने का लक्ष्य

भारत में लिथियम की खोज के लिए अभी तक ज्यादा कोशिश नहीं हुई है। इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस के प्रेसिडेंट का कहना है कि अब तक हमने यह पता नहीं लगाया है कि हमारे पास लिथियम का पर्याप्त भंडार है या नहीं। इसका कारण रेडियो एक्टिविटी से जुड़ी आशंकाएं हैं। भारत में लिथियम का भंडार नहीं होने से सरकार अर्जेंटीना, बोलिविया और चिली में माइंस खरीदने पर विचार कर रही है। वहीं नीति आयोग ने अगले 10 साल में लिथियम आयन बैटरियों के लिए 10 बड़ी फैक्ट्रियां बनाने का लक्ष्य तय किया है। देश में लिथियम मिलने से ईवी में इस्तेमाल बैटरियों की लागत कम हो सकती है।