वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आम बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने कई बड़ी घोषणाएं की। वहीं, सीतारमण ने टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए जनता को दो नए ऑप्शन दिए हैं। अब टैक्स छूट के लिहाज से ईपीएफ, एनपीएस जैसे साधनों में निवेश की सीमा तय कर दी गई है जिसकी वजह से इन पर भी टैक्स लगने की गुंजाइश बन गई है।
बजट पेश करने के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह प्रस्ताव किया जाता है कि एक साल में कर्मचारी के खाते में नियोक्ता द्वारा भविष्य निधि, सुपरएनुएशन फंड और एनपीएस में निवेश की ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपए तय किया जाए।
बजट साल 2020-21 के लिए पेश किया गया है और बजट का आंकलन वित्तिय वर्ष के अनुसार किया जाता है। इस लिहाज बजट में ऐलान की गई सभी चीजें 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा। लेकिन यह नया नियम 1 अप्रैल, 2021 से लागू होगा और आकलन वर्ष 2021-22 के लिए मान्य होगा।
क्या था नियम
इसके पहले पीएफ और एनपीएस में नियोक्ता द्वारा किया जाने वाला निवेश पूरी तरह से टैक्स फ्री था और इसकी कोई सीमा नहीं थी। सिर्फ यह सीमा थी कि नियोक्ता कर्मचारी के सीटीसी वेतन के 12 फीसदी के बराबर पीएफ में योगदान करेगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आम करदाताओं को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं, हालांकि वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब को लेकर जो उपाय किए हैं उससे लोगों का भ्रम बढ़ा है।
ये किया ऐलान
5 लाख तक आमदनी पर कोई टैक्स नहीं
12.50 से 15 लाख तक 25 फीसदी टैक्स
10 से 12.5 लाख तक 20 फीसदी टैक्स
7.5 से 10 लाख तक 15 फीसदी टैक्स
15 लाख से ज्यादा कमाई पर 30 फीसदी टैक्स
10 प्रतिशत आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य
2020-21 में 10 प्रतिशत आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य
3.8 फीसदी वित्तीय घाटे का अनुमान
भारत में कॉरपोरेट टैक्स सबसे कम
जनवरी में 1.1 करोड़ का टैक्स कलेक्शन
टैक्स देने वालों को बड़ी राहत
5 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं
5 लाख से 7.5 लाख तक 10 फीसदी टैक्स
7.5 लाख से 10 लाख की आमदनी तक 15 प्रतिशत टैक्स
10 से 12.5 लाख की आमदनी पर 20 प्रतिशत टैक्स
12.5 से 15 लाख तक 25 प्रतिशत टैक्सएलआईसी का बड़ा हिस्सा सरकार बेचेगी
कॉर्पोरेट टैक्स रेट में कमी
एलआईसी का IPO लाएगी सरकार
10 सरकारी बैंकों मिलाकर 4 बैंक बनेगा