मोहन मधुकर भागवत एक पशु चिकित्सक और 2009 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक हैं। उन्हें एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। के एस सुदर्शन ने अपनी सेवानिवृत्ति पर उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ओडिशा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्देश्यों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।उन्होंने किसी के प्रति कोई घृणा न होने पर जोर दिया,भागवत ने शनिवार को कहा कि संघ का उद्देश्य भारत में परिवर्तन तथा उसे बेहतर भविष्य की ओर ले जाना है. इसके लिए देश में पूरे समाज को संगठित करना है, न कि केवल हिंदू समुदाय को।उन्होंने कहा, ‘यहूदी मारे-मारे फिरते थे अकेला भारत है जहां उनको आश्रय मिला। पारसियन (पारसी) की पूजा और मूल धर्म केवल भारत में सुरक्षित हैं. विश्व के सर्वाधिक सुखी मुसलमान भारत में मिलेंगे. ये क्यों है? क्योंकि हम हिंदू हैं.’
भागवत ने कहा, ‘यह हमारी इच्छा है कि आरएसएस ठप्पा हट जाए और आरएसएस तथा समाज एक समूह के तौर पर काम करें. चलिए सारा श्रेय समाज को दें.’ भारत की विविधता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरा देश एक सूत्र से बंधा है. उन्होंने कहा, ‘भारत के लोग विविध संस्कृति, भाषाओं, भौगोलिक स्थानों के बावजूद खुद को एक मानते हैं.’
आपको बता दें कि सरसंघचालक ने कहा कि सभी पूजा पद्धतियों के लोग संघ की शाखाओं में आते हैं। इनमें मुस्लिम भी हैं। संघ उन्हें हिंदू भी मानता है । यहां तक कि अगर कोई कहता है कि वह हिंदू नहीं है, तो संघ की सद्भावना उसके प्रति बनी हुई है।