किसी भी तरह की अफवाहों से बचने के लिए इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत दुनियाभर में तीसरे नंबर पर है। नेटबंदी के कारण अफवाह फैलने पर तो लगाम लगा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका काफी असर हुआ और देश में अरबों का व्यापार प्रभावित हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए नेटबंदी करना किसी भी देश की सरकार को सबसे आसान तरीका लगता है। यही कारण है कि साल 2016 से पहले की तुलना में 2019 में नेटबंदी करीब 235 प्रतिशत बढ़ गई। भारत सहित दुनियाभर में नेटबंदी का सबसे अधिक प्रभाव वॉट्सएप पर पड़ा।
122 बड़ी नेटबंदी में से 90 भारत में
आंकड़े बताते हैं कि नेटबंदी के मामले में इराक, सूडान, भारत, वेनेजुएला और इरान सबसे आगे हैं। साल 2019 में 263 घंटे नेटबंदी के साथ इराक पहले स्थान पर है। इस नेटबंदी से इराक को करीब 2.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। वहीं दूसरे नंबर पर रहा सूडान, जिसे नेटबंदी से 1.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। नेटबंदी के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। दुनियाभर में पिछले साल नेटबंदी की 122 प्रमुख घटनाएं हुई, जिनमें से भारत में 90 छोटी-बड़ी नेटबंदी हुईं। जिससे भारत को 1.3 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है नेटबंदी से भारत को होने वाला आर्थिक नुकसान इससे कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद इंटरनेट सेवाएं बाधित होना भी इसका एक कारण है।
सबसे ज्यादा असर वॉट्सएप पर
नेटबंदी का सबसे ज्यादा असर वॉट्सएप पर रहा। इसके बाद फेसबुक और यू-ट्यूब प्रभावित हुआ। टॉप 10 वीपीएम की ओर से की गई एक स्टडी में सामने आया कि दुनियाभर में हुई नेटबंदी के कारण पिछले साल वॉट्सएप करीब 6,236 घंटे बाधित रहा। भारत सहित श्रीलंका और सूडान जैसे देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। जिससे वैश्विक स्तर पर आठ अरब डॉलर का नुकसान हुआ। वॉट्सएप के प्रवक्ता का कहना है कि मॉब लिंचिंग अब सभी देशों के लिए चुनौती बन गई है। ऐसे में वे नहीं चाहते कि गलत सूचनाएं या अफवाहें फैले, इसलिए वे नेटबंदी करते हैं। उन्होंने कहा कि समाज और प्रौद्योगिकी कंपनियों को एक साथ काम करने की आवश्यकता है।