पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, जिसके बाद भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया. इसे पूरी दुनिया का समर्थन मिला. इसके बाद भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट में कुलभूषण जाधव के मामले में भी सफलता मिली. इस साल भारत की एक और मेहनत रंग लाई और मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया गया.
दुनिया में पाकिस्तान बेनकाब
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब किया. जी-20 सम्मेलन, एससीओ समिट, ब्रिक्स, हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन, सार्क समिट समेत हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने पाकिस्तान के आतंक प्रेम को रखा. इसे दुनिया के सभी देशों का समर्थन मिला. आज भी अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देश हमारे साथ खड़े हैं. इसके साथ ही सार्क देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और नेपाल भी हमारे साथ हैं. सभी देशों ने पाकिस्तान को आतंकियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी. कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का भी दुनिया के अधिकतर देशों ने समर्थन किया.
हिंदुस्तान की कूटनीति, चीन-पाक को झटका
इस साल मई में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया था. पुलवामा आतंकी हमले के 75 दिन बाद संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति के सदस्य देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस की पहल पर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया. मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए 10 साल में चार बार प्रयास किए गए थे. 2009, 2016, 2017 और फरवरी, 2019 में चीन ने प्रस्ताव पर वीटो लगाया था, लेकिन उसने अंतराष्ट्रीय स्तर पर दबाव पड़ने से चीन ने वीटो हटा दिया और इसके बाद मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया गया. पुलवामा आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की यह सबसे बड़ी जीत थी.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदुस्तान की जय-जय
इस साल अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत की दो जीत मिली. सबसे जीत दलवीर भंडारी का लगातार दूसरी बार आईसीजे का जज बनना है. यूएन महासभा में दलवीर भंडारी को 183 वोट मिले थे, जबकि सुरक्षा परिषद के सभी 15 वोट मिले. इस चुनाव में उनका मुकाबला ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था, जिन्होंने आखिरी दौर में अपनी हार देखते हुए अपना नाम वापस ले लिया था. दूसरी कामयाबी भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में मिली. आईसीजे ने कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान के कोर्ट से मिली फांसी की सजा पर रोक लगा दी. 16 जजों में 15 जजों ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. आईसीजे ने पाकिस्तान से सजा की समीक्षा करने के साथ ही कुलभूषण को कॉन्सुलर एक्सेस देने का आदेश दिया.
स्पेस किंग बना इंडिया
इस साल भारत ने अंतरिक्ष में बड़ी कामयाबी हासिल की. ‘मिशन शक्ति’ के सफल परीक्षण के साथ ही अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा देश बन गया, जो अंतरिक्ष में भी सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है. मार्च में ‘मिशन शक्ति’ के तहत अंतरिक्ष के लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में 300 किलोमीटर दूर एक सैटेलाइट को मात्र 3 मिनट में मार गिराया गया था. खास बात है कि इस ऑपरेशन को स्वदेश में ही बने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के जरिए अंजाम दिया गया था. अब भारत कभी भी दुश्मन की सैटेलाइट को नष्ट कर सकता है. मिशन शक्ति के कारण दुनिया में भारत की हनक बढ़ गई.
चंद्रयान-2 ने जीता दिल
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए दूसरी सबसे बड़ी कामयाबी चंद्रयान-2 रही. चंद्रयान-2 को चांद के साउथ पोल पर लैंड कराना था. भारत का यह मिशन 95 फीसदी पूरा हुआ, लेकिन ऐन वक्त पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से संपर्क टूट गया. इस वजह से हमें चंद्रमा की सतह के बारे में नहीं मिल पाएगी, लेकिन 95 फीसदी कामयाबी के कारण दूसरी तरह की जानकारी मिलती रहेगी. चंद्रयान-2 का आर्बिटर लगातार चांद के चक्कर काटता रहेगा. चंद्रयान-2 की 95 फीसदी के बाद भी चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला भारत पहला देश है. अभी तक कोई भी देश साउथ पोल पर नहीं पहुंचा है. खास बात है कि चंद्रयान-2 के लिए भारत ने सिर्फ 140 मिलियन डॉलर खर्च किया, जबकि अमेरिका ने अपने अपोलो मिशन के लिए 100 बिलियन डॉलर खर्च किया था.
अमेरिका में नमो-नमो
इस साल 22 सितंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 हजार प्रवासियों को संबोधित किया था. इस दौरान उनके साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी थे. हाउडी मोदी का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते को बढ़ाना और कश्मीर मसले पर दुनियाभर के देशों का समर्थन हासिल करना था. इस मेगा इवेंट पर पीएम मोदी की फैन फॉलोइंग देखकर खुद डोनाल्ड ट्रंप अचंभित रह गए थे. किसी भी देश के प्रधानमंत्री का अमेरिका की सरजमीं पर यह बड़ा मेगा इवेंट था. इस मेगा इवेंट से भारत की छवि दुनिया के सामने पीएम मोदी ने रखी थी.
चीन के दवाब के आगे नहीं झुका भारत
इस साल थाईलैंड में हुई बैठक के दौरान भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (RCEP) में शामिल नहीं होने का फैसला लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत पिछले सात सालों के नेगोशियेसन पर नजर रखे हुए है, लेकिन मौजूदा RCEP समझौता पहले की मूल भावना से अलग है. भारत के इस फैसले के बाद जापान ने साफ कहा है कि अगर भारत RCEP का सदस्य नहीं बनता है तो जापान भी इसमें शामिल नहीं होगा. इस समझौते को करने के लिए चीन ने कई देशों पर दवाब बनाया था, लेकिन भारत ने चीन के दवाब को दरकिनार करते हुए समझौते का हिस्सा न बनने का फैसला किया. इसी तरह भारत ने चीन की महत्वकांछी परियोजना वन बेल्ट, वन रोड का भी विरोध किया. डोकलाम से चीन को अपने जवानों को वापस बुलाना पड़ा. चीन ने कई बार धमकी भी दी, लेकिन भारत के साथ मेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश खड़े रहे.
तो ये वो मौके रहे जब साल 2019 में दुनिया ने हिंदुस्तान की न सिर्फ ताकत देखी बल्कि उसके सामने नतमस्तक भी हुई. खासतौर पर दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन को हिंदुस्तान ने जो सबक साल 2019 में सिखाया उससे इतना तो तय है कि आने वाले लंबे समय तक दोनों देश हिंदुस्तान की तरफ आंख उठाने से पहले 100 बार सोचेंगे.