राजधानी के गोल बाजार इलाके में शक्तिवद्र्धक दवा बेचने के लिए मशहूर गुप्ता ब्रदर्स की दुकान से जब्त अवशेष शेड्यूल-1 और 2 श्रेणी के वन्य प्राणियों के हैं। इस बात का खुलासा अवशेषों की डीएनए रिपोर्ट से हुआ है। अब गुप्ता ब्रदर्स की गिरफ्तारी की तैयारी है। आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए डीएफओ ने तीन एसडीओ स्तर के अधिकारियों की टीम बनाई है।
यह है पूरा मामला
30 अगस्त 2018 को दिल्ली की संस्था पीपुल्स फार एनिमल के एक्टिविस्ट की सूचना पर रायपुर वन मंडल के अधिकारियों ने गोल बाजार में जड़ी बूटी और शक्तिवद्र्धक दवा बेचने वाले रत्नेश कुमार गुप्ता व दुर्गा प्रसाद-शिवकुमार गुप्ता की दुकान में छापा मारा था।
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इस दौरान दुकान से प्रतिबंधित लार्ज बंगाल मोनिटर लिजार्ड के 300 प्रजनन अंग (प्रचलित नाम गोह या गोहिया), जंगली बिल्ली की पित्त थैली (वाइल्ड कैट) व सियार (जैकाल) की नाभि सहित प्रतिबंधित समुद्री वनस्पति सी फैन (इंद्रजाल) बरामद किए गए थे।
छापे के बाद रत्नेश कुमार गुप्ता और दुर्गा प्रसाद-शिवकुमार गुप्ता को वन अफसरों ने गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश किया, लेकिन अवशेषों की डीएनए रिपोर्ट ना होने से दोनों कारोबारियों को जमानत मिल गई। न्यायालय के निर्देश पर वन अफसरों ने जब्त अवशेषों का हैदराबाद स्थित फोरेंसिक लैब में जांच कराई। 6 माह पहले मिली डीएनए रिपोर्ट ने अवशेष शेड्यूल-१ और २ श्रेणी में आने वाले वन्य प्राणियों के होने की पुष्टि हुई है।
प्रतिबंधित अवशेष बेचने पर होती है यह कार्रवाई
वन अधिकारियों के अनुसार प्रतिबंधित लार्ज बंगाल मोनिटर लिजार्ड और सी फैन वनस्पति शेड्यूल- वन तथा जंगली बिल्ली और सियार शेड्यूल टू में संरक्षित हैं। इन जीवों व वनस्पति के अवैध व्यापार के मामले में वन अफसर धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41, धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत कार्रवाई करते है। इस कार्रवाई के बाद आरोपी को न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है। सजा के साथ 10 हजार रुपए जुर्माना भरने का भी नियम है।