अमेरिका ने भारत तथा चीन के विकास मॉडल के बारे में बड़ा बयान दिया है. अमेरिका का ये बयान जहाँ दुनिया में बढ़ती भारत की धमक तथा स्वीकार्यता को बताता है तो वहीं चीन की दादागीरी को भी आईना दिखाता है. बता दें कि चीन द्वारा दूसरे देशों को दी जा रही सहायता के चलते मिल रही चुनौती को लेकर अमेरिका ने कहा कि वह भारत के उस मॉडल का पालन करने में अन्य देशों की मदद करना चाहता है जो सहायता प्राप्त करने वाले से एक साझेदार बनने और फिर सहायता देने वाले में तब्दील होने की प्रक्रिया को दर्शाता है.
खबर के मुताबिक, यूएसएड प्रशासक मार्क ग्रीन ने पेशेवर सेवा परिषद के सातवें वार्षिक विकास सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि हमारा लक्ष्य देशों को प्राप्तकर्ता से साझेदार और उसके बाद दान देने वाला बनने में मदद करना है. हम यही चाहते हैं. हम पश्चिम और अमेरिका के लिए इस तरह की इच्छा रखने वाले ऐसे देशों का गठबंधन बनाना चाहते हैं. ग्रीन ने कहा कि हम भारत की तरह देशों की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं जो हमसे पहले अनाज लेता था और आज वह उस जगह पहुंच गया है जहां वह अफगानिस्तान में विकास के लिए सहायता देने वाला पांचवा दाता बन गया है.
उन्होंने कहा कि सभी देश भारत जैसे नहीं हैं. कोई भी देश अपनी यात्रा में इतना आगे नहीं बढ़ा है. अमेरिका का कहना है कि भारत ने सहायता ग्रहण करने से लेकर एक सहयोगी बनने और अब एक दाता बनने की बेहतरीन यात्रा तय की है. चीन के विकास की मॉडल और विदेशी मदद नीति की आलोचना करते हुए ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमारे लिए भारत मॉडल है और हम चीन से बिलकुल अलग इस तरीके का मॉडल दुनिया के सामने रखना चाहते हैं.