जिस एनएससीएन(आईएम) के साथ भारत सरकार ऐतिहासिक नगा समझौते के निष्कर्ष तक पहुंचने की आस संजोए बैठी है, उसने एक फिर अपना मंसूबा साफ कर दिया है। उसके मुताबिक भारत और नगालैंड दोनों ही संप्रभु राष्ट्र हैं। अर्थात वह नगालैंड को भारत का अंग नही मानता। नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम(एनएससीएन) के इशाक-मुईवा गुट की समानांतर सरकार के सूचना और प्रचार मंत्री सीटी सोन ने एक अंग्रेजी पत्रिका को दिए साक्षात्कार में एक राष्ट्र के रुप में नगालैंड की संप्रभुता का दावा किया है।
सीटी सोन के मुताबिक नगा समूह की केंद्र से बातचित नगालैंड के लोगों के लिए एक झंडे और एक संविधान(की मांग) पर अटकी है। नगा विद्रोही संगठन के नेता ने दावा किया है कि वर्ष 2015 में हुआ प्रेमवर्क समझौता नगा लोगों की संप्रभुता की बात मानता है। सोन के मुताबिक कोई राष्ट्र एक झंडे और एक संविधान के बिना अस्तित्व में नहीं रह सकता। सोन ने यह दावा भी किया कि यह बातचीत दो राष्ट्रों के बीच हो रही है। भारत और नगालैंड दोनों ही संप्रभु राष्ट्र हैं। नगालैंड पर भारत का औपनिवेशिक शासन है।
संप्रभुता नगा लोगों से जु़ड़ी है और नगा आबादी की बहुलता वाले अन्य राज्यों के हिस्सों के साथ नगालैंड के एकीकरण को युद्दविराम समझौता में मान्यता दे दी गई है। इसके पहले केंद्र ने कहा था कि विगत 31 अक्टूबर को सरकार और एनएससीएन(आईएम) के बीच एक सौहार्दपूर्ण समाधान हो गया था। पड़ोसी राज्यों से, जहां इसे लेकर तनाव की स्थिति है, सलाह के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस बीच को ऑर्डिनेशन कमेंटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी(सीओसीओएमआई) के अह्वान पर मणिपुर में इसका व्यापक विरोध हुआ है। वहां होने वाले संगाई उत्सव का बहिष्कार करने की घोषणा भी की गई थी। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समिति के नेताओं से मिलने के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था। वैसे यह बातचीत बेनतीजा रही है।