बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली. यह संयोग ही है कि देवेंद्र फडणवीस ने आज भागवत एकादशी के दिन सीएम पद की शपथ ली और 15 दिन पहले जब उन्होंने 8 नवंबर को इस्तीफा दिया था उस दिन कार्तिकी एकादशी था. दोनों ही दिन हिंदू पंचांग के हिसाब से शुभ माने जाते हैं, लेकिन इस शुभ दिन का मार्ग 45 मिनट की उस मुलाकात ने प्रशस्त किया, जो संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनसीपी चीफ शरद पवार के बीच हुई थी.
शरद पवार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई 45 मिनट की मुलाकात पिछले 30 दिनों की राजनीति पर भारी पड़ी. महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक संकट को खत्म करने का रास्ता भी इसी मुलाकात से निकला. 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे और उसके एक महीने बाद आज 23 नवंबर को महाराष्ट्र में सरकार का गठन हुआ. एबीपी न्यूज़ को उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जिस वक्त शरद पवार कांग्रेस और शिवसेना के नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे उसी वक्त उनके भतीजे अजित पवार बीजेपी के साथ गठबंधन के रास्ते में आये कांटो को हटाने में जुटे हुए थे. बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल पार्टी की प्राथमिकता महाराष्ट्र में मजबूत और स्थाई सरकार देना है.
राज्य
में पावर शेयरिंग फार्मूला क्या होगा यह 30 नवंबर के बाद तय किया जाएगा.
लेकिन इतना तय है कि विधायकों की संख्या बल के हिसाब से एनसीपी को मंत्री
पद दिए जाएंगे. केंद्र सरकार में अगर एनसीपी हिस्सेदारी मांगेगी तो इसका
निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ही लेगा. सूत्रों के मुताबिक एनसीपी और बीजेपी के
बीच बातचीत उस समय से चल रही थी जब एनसीपी ने भी ढाई-ढाई साल के
मुख्यमंत्री पद की मांग करनी शुरू की थी. यह बातचीत कई राउंड में और कई
जगहों पर हुई. इसमें पीएम मोदी के निर्देश और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के
नेतृत्व में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव
ने अहम रोल निभाया.
20 नवंबर को हुई थी मुलाकात
एबीपी
न्यूज़ के सूत्रों ने बताया कि एनसीपी और बीजेपी के बीच बातचीत में 20
नवंबर को पीएम मोदी और शरद पवार की मुलाकात के बाद नया मोड़ आ गया. एनसीपी
को लगने लगा कि शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार बनाने में बहुत
सारे सारे पचड़े हैं. मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खींचतान हैं और सरकार
संचालन के लिए बनी कोआर्डिनेशन कमेटी और उसके ऊपर सुपर कमेटी सरकार के
संचालन में कई रोड़े पैदा करेंगी. ऐसी सूरत में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार
बनाना ज्यादा आसान और बेहतर विकल्प होगा. मुंबई में जब शरद पवार, उद्धव
ठाकरे और अहमद पटेल के साथ बैठक करके निकले और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री
बनाने का बयान दिया उस वक्त अजित पवार देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर रहे
थे.
इसी मुलाकात में अजित पवार ने अपने 54 विधायकों
के हस्ताक्षर वाली सूची देवेंद्र फडणवीस को सौंप दी थी जिसे बाद में
देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल को सौंपा. तकरीबन 9 बजे रात के आसपास देवेंद्र
फडणवीस और राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी की मुंबई स्थित राजभवन में मुलाकात
हुई और उसी वक्त देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और
बहुमत का आंकड़ा भी राज्यपाल को सौंप दिया. राज्यपाल ने 105 बीजेपी के
विधायकों की सूची 14 निर्दलीय विधायकों की सूची और 54 एनसीपी विधायकों की
सूची हाथ में आने के बावजूद संतुष्टि के लिए एनसीपी विधायक दल के नेता अजित
पवार को बुलाया.
अजित पवार ने रात 12 बजे के आसपास राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से राजभवन में मुलाकात की और उन्हें एनसीपी विधायक दल के नेता के तौर पर विधानमंडल के समर्थन की एक चिट्ठी सौंपी. बस यही से महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई. एक तरफ जब सारे अखबार उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनने की खबरें छाप रहे थे, उसी वक्त रात 12:30 बजे के आसपास राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति भवन भेज दी. इसके बाद जो कुछ हुआ वह सबके सामने है. भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे बड़ा उलटफेर रातों-रात हुआ और देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए.