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धरने पर बैठे JNU के छात्र, पुलिस का लाठीचार्ज, कई छात्र गंभीर रूप से घायल…

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के हजारों छात्रों ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद भवन की तरफ मार्च करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके साथ ही विभिन्न स्थानों पर पुलिस के कथित लाठीचार्ज में कुछ छात्र घायल हो गए जबकि छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत करीब 100 जेएनयू छात्रों को हिरासत में ले लिया गया।

सफदरगंज के मकबरे के बाहर रोड पर बैठे छात्र

इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्र सफदरजंग मकबरे के बाहर सड़क पर बैठ गए और हिरासत में लिये गए छात्रों को छोड़े जाने तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की मांग करने लगे। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों ने छात्रों से बातचीत शुरू करने की कोशिश की और उनसे कानून अपने हाथों में नहीं लेने का अनुरोध किया। छात्रों के संसद की तरफ कूच करने से लुटियंस दिल्ली के कुछ हिस्सों में यातायात प्रभावित हुआ।

सोशल मीडिया पर ट्रेड करने लगा जेएनयू

नेल्सन मंडेला मार्ग, अरबिन्दो मार्ग और बाबा गंगनाथ मार्ग तथा अन्य जगहों पर यातायात बाधित रहा और गाड़ियां बेहद धीमी रफ्तार से रेंगती नजर आईं। संसद के पास दिल्ली मेट्रो के तीन स्टेशनों पर प्रवेश और निकास द्वारों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। उद्योग भवन और पटेल चौक स्टेशनों पर ट्रेन नहीं रुक रही थीं। इन स्टेशनों पर करीब चार घंटे बाद सेवाएं बहाल हो पाईं। छात्रों ने प्रदर्शन और इस दौरान पुलिस के कथित लाठीचार्ज में खुद को लगी चोटों की तस्वीरें टि्वटर पर साझा कीं। इसके साथ ही माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर हैशटैग ‘इमरजेंसी इन जेएनयू’ ट्रेंड करने लगा।

पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत

भीड़ को नियंत्रित करने के लिये पुलिस अधिकारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। भीड़ पुलिस बल के खिलाफ भी नारेबाजी कर रही थी। छात्रावास शुल्क में बढ़ोतरी के खिलाफ विश्वविद्यालय परिसर में पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे छात्र संसद का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सोमवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां और बैनर ले रखे थे। ये लोग संसद का ध्यान अपनी मांगों की तरफ खींचना चाहते थे।

छात्रों ने दोहराया कि वे तब तक नहीं झुकेंगे जब तक सरकार फीस वृद्धि वापस नहीं ले लेती। एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अवैध मसौदा आईएचए नियमावली और कार्यकारी परिषद के इसे स्वीकार करने के अवैध फैसले को वापस लेने की घोषणा करे। छात्रों के निर्वाचित प्रतिनिधि जेएनयू छात्रसंघ और जेएनयू शिक्षक संघ को पक्षकार माना जाए। यह आश्वासन दिया जाए कि नियमावली पर कोई भी फैसला उचित और स्थापित प्रक्रिया के तहत लिया जाएगा।’ सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बाबा गंगनाथ मार्ग पर छात्रों को आगे बढ़ने से रोक दिया।

यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर बलपूर्वक रोका गया

विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से आगे बढ़ने पर 600 मीटर की दूरी पर ही छात्रों को रोक दिया गया। कुछ छात्रों ने जब आगे बढ़ने की कोशिश की तो उन्हें बलपूर्वक रोका गया। शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसर के बाहर से अवरोधक हटा दिए गए और छात्रों को मार्च करने की इजाजत दी गई। लेकिन बाद में प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया।

छात्र नेताओं को हिरासत में लिया गया

प्रदर्शन में शामिल कुछ छात्र नेता जब आगे बढ़ने पर अड़ गए तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। बाद में, छात्र लोधी रोड के पास सफदरजंग के मकबरे तक आगे बढ़ने में सफल रहे, लेकिन उन्हें फिर से रोक दिया गया और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने छात्रों से कहा कि वे सफदरजंग रोड की एक लेन में ही रहें और दूसरा हिस्सा गाड़ियों की आवाजाही के लिये खाली कर दें।

पुलिस ने रास्ता खाली करने का किया अनुरोध

विशेष पुलिस आयुक्त कानून-व्यवस्था (दक्षिण) आर एस कृष्णैया ने प्रदर्शनकारियों से रास्ता खाली करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘हम सुबह से आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि कृपया विश्वविद्यालय की तरफ लौटना शुरू कीजिए। सफदरजंग अस्पताल के लिए जाने वाली एंबुलेंसों का रास्ता प्रभावित हो रहा है।’ आइशी घोष ने कहा कि उन्होंने जेएनयू से शांतिपूर्ण मार्च निकाला। उन्होंने कहा, ‘पुलिस को लगा कि दो पदाधिकारियों को हिरासत में ले लेने से आंदोलन खत्म हो जाएगा, लेकिन हर छात्र एक नेता है। हम सब एक साथ लड़ रहे हैं। दिल्ली पुलिस परेशान है। जब तक बढ़ा शुल्क और आईएचए नियम वापस नहीं हो जाते, हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।’

विरोध प्रदर्शन करते छात्रों को रोकते जवान

कुलपति के इस्तीफे की मांग

उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि पुरुष पुलिसकर्मी छात्राओं को हिरासत में क्यों ले रहे हैं। छात्रसंघ सचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति को इस्तीफा देना चाहिए और वे इस मांग को मानव संसाधन विकास मंत्री के सामने उठाएंगे। इससे पहले दिन में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तीन सदस्यीय एक समिति गठित की जो विश्वविद्यालय में सामान्य कार्यप्रणाली बहाल करने के तरीकों की सिफारिश करेगी। समिति छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल वार्ता करेगी और उठाए जाने वाले कदमों पर सुझाव देगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) समिति के कामकाज के लिए आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराएगा। विश्वविद्यालय के छात्र अक्षत ने कहा, ”समिति गठित करने के बारे में मंत्रालय ने छात्रसंघ को कोई सूचना नहीं दी।

प्रशासनिक अधिकारी और समिति को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए निर्वाचित छात्रसंघ से बात करनी चाहिए।’ वहीं, एक अन्य छात्रा प्रियंका ने कहा, ”शुल्क वृद्धि को आंशिक तौर पर वापस लेकर हमें लॉलीपॉप थमाया जा रहा है। मैं अपने परिवार में पहली ऐसी लड़की हूं जो विश्वविद्यालय पहुंची हूं। मेरी तरह कई अन्य हैं। शिक्षा कुछ धनी लोगों का ही विशेषाअधिकार नहीं है।’ नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक अन्य छात्र ने कहा, ”हमने अपने कुलपति को लंबे समय से नहीं देखा है। यह समय है कि वह आएं और हमसे बात करें। शिक्षकों और अन्य माध्यम से हमसे अपील करने से अच्छा है कि उन्हें हमसे बात करनी चाहिए।’ विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय परिसर की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है।