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करतारपुर में इमरान के सामने सिद्धू ने की मोदी की तारीफ़…

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“क्या मिलेगा मार कर किसी को जान से, मारना हो तो मार डालो एहसान से. दुश्मन मर नहीं सकता कभी नुक़सान से और सिर उठाकर चल नहीं सकता मरा हुआ एहसान से.”

करतापुर कॉरिडोर के उद्घाटन के मौक़े पर बतौर ख़ास अतिथि पहुंचे कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने ऐसी बहुत सी बातें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की तारीफ़ में कहीं. हालांकि दो बार उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को भी शुक्रिया कहा.

सिद्धू अपने लतीफ़ों और काव्यात्मक भाषणों के लिए जाने जाते हैं और इस बार भी उनका अंदाज़ वही था.

सिद्धू पहले भी खुलकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तारीफ़ करते रहे हैं और इस बार भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. इमरान ख़ान को वो अपना दोस्त बताते रहे हैं और इस बार भी उनका अंदाज़ वैसा ही दोस्ताना था.

सिद्धू को जब मंच पर आमंत्रित किया गया तो उनका परिचय कुछ इस तरह दिया गया.

“यह शीर्ष बल्लेबाज रह चुके हैं. इनको सिक्सर सिद्धू के नाम से भी जाना जाता है. ये बैटिंग के साथ-साथ सियासत में भी बहुत आक्रामक हैं. इंसानों के लिए बोलते हैं. इंसानों के लिए जज़्बा रखते हैं. इन्होंने अपनी ज़िंदगी का पहला मैन ऑफ़ द मैच ख़िताब सियालकोट में जीता और अब ये करतारपुर के भी मैन ऑफ़ द मैच बन चुके हैं. इनकी पाकिस्तान से और ख़ासतौर पर इमरान ख़ान से मोहब्बत का ये सुबूत है कि इन्होंने कुल नौ शतक बनाए हैं क्रिकेट में लेकिन पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक भी नहीं बनाई. ये सुबूत है इनकी मुहब्बत का.”

नवजोत सिंह सिद्धू ने क्या कुछ कहा?

“है समय नदी की बाढ़ सी अक्सर सब बह जाया करते हैं. है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्बत भी झुक जाया करते हैं. अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं… पर कुछ इमरान ख़ान जैसे होते हैं जो इतिहास बनाया करते हैं.”

सिद्धू ने अपने भाषण की शुरुआत इन अल्फ़ाजों के साथ की.

सिद्धू ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान में 14 करोड़ सिखों का विश्वास हैं. वो एक जीता-जागता इतिहास हैं. जिन्होंने कोई नफ़ा-नुकसान नहीं देखा, कोई सौदा नहीं देखा, सिर्फ़ और सिर्फ़ ईश्वर के नाम पर यह क़दम उठाया है.

उन्होंने पीएम ख़ान को संबोधित करते हुए कहा कि करतापुर कॉरिडोर को खोलकर उन्होंने सिख समुदाय पर यह बहुत बड़ा एहसान किया है. लेकिन यह दावे की बात है कि अब सिख समुदाय उन्हें जिस मुक़ाम पर लेकर जाएगा, वो ख़ुद भी उसकी कल्पना नहीं कर सकते.

सिद्धू ने कहा कि इस एहसान के बदले अब सिख समुदाय जहां भी जाएगा वहां वो इमरान ख़ान की तारीफ़ों के कसीदे पढ़ेगा. उनके प्रवक्ता की तरह उनकी बड़ाई करेगा.

उन्होंने कहा कि मंच पर भले ही मैं अकेला खड़ा होकर ये सारी बातें कह रहा हूं लेकिन सच्चाई यही है कि जो मेरे दिल में है वही आज 14 करोड़ सिख भी महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “तेरी मोहब्बत, तेरी मुरव्वत, तेरे प्यार के तोहफ़े के बदले मैं मेरे कौल दी सबसे महंगी चीज़ शुकराना लेकर आया हूं . मैं कहया यारा सोडियां खाना… दिल दियां शहंशाह ख़ान इमराना… तेरी ख़ातिर दिल नज़राना लेकर आया हूं.”

सिद्धू के इस संबोधन का प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी इशारे से शुक्रिया अदा किया.

करतारपुर इतना अहम क्यों?

इस मौक़े पर सिद्धू ने कहा, ”ये कहां का इंसाफ़ है कि कोई अपने ‘पिता’ से नहीं मिल सके. मेरे अपने लोग यहां की सरज़मीं को चूमने के लिए रोते रहे. बँटवारे के बाद से यह पहला मौक़ा है जब 14 करोड़ सिख अपने इस घर आ पाएंगे. इसका सिर्फ़ और सिर्फ़ एक कारण इमरान ख़ान हैं जिन्होंने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. निश्चित तौर पर ताली दोनों हाथ से बजी है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 14 करोड़ सिखों की बात सुनी है.”

लेकिन इसके बाद जब सिद्धू ने दोबारा अपनी बात शुरू की तो वो फिर इमरान ख़ान की तारीफ़ से.

उन्होंने कहा, “सिकंदर ने लोगों को डराकर दुनिया पर राज किया था लेकिन इमरान ख़ान वो सिकंदर हैं जो लोगों के दिल में बसते हैं और दुनिया पर राज करते हैं.”

सिद्धू ने इमरान ख़ान को गले लगाने पर उठे विवाद का जवाब देते हुए कहा कि आज वो मौक़ा है जब उस झप्पी का भी जवाब दे दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर एक बार गले लगने से ये काम हो सकता है तो एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी..चौथी..पांचवी झप्पी देने में कोई हर्ज़ नहीं. और इसी तरह गले मिलते-मिलाते सारे मसले हल कर लेना चाहिए.

बँटवारे के घाव का सबसे बड़ा मरहम है ये

सिद्धू ने कहा कि दस महीने के भीतर करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर जो काम दोनों पक्षों ने किया है वो बँटवारे के घाव का सबसे बड़ा मरहम साबित होगा.

उन्होंने कहा कि 72 सालों से सिख समुदाय को अनुसुना किया जाता रहा था. हर कोई अपना नफ़ा-नुक़सान देखता रहा था लेकिन पीएम ख़ान ऐसे शेर-दिल पीएम हैं जिन्होंने हर नफ़ा-नुकसान से अलग जाकर ये काम किया है.

उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान ने जो आज एहसान किया है उसे कोई चाहकर भी नहीं भुला सकता.

एकबार फिर ‘गले लगाने’ वाले प्रसंग का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान को गले लगाना आज फलीभूत हो गया है.

बॉर्डर खोलने की अपील

सिद्धू ने अपने भाषण के अंत में इमरान ख़ान से अपील की कि जिस तरह उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर के लिए मंज़ूरी दे दी है, उसी तरह वो अपने बॉर्डर भी खोल दें.

उन्होंने कहा, “बहुत से राजनेताओं को देखा है, जिनके दिल छोटे होते हैं लेकिन आपका दिल समंदर जितना बड़ा है.”

करतारपुर कॉरिडोर से अलग सिद्धू ने इमरान ख़ान को संबोधित करते हुए कहा कि ये सुनना चाहूंगा कि आप बॉर्डर खोलने की बात करें.

उन्होंने कहा “मेरा सपना है कि कहीं कोई सीमाएं ना हों, बॉर्डर ना हो. लोग जहां चाहें वहां आज़ादी से आ जा सकें.”

पीएम मोदी का शुक्रिया

सिद्धू ने कहा कि भले ही वो राजनीतिक तौर पर कांग्रेस पार्टी के साथ हैं और भले ही वैचारिक और राजनीतिक तौर पर वो मोदी के विपक्षी हैं लेकिन करतारपुर कॉरिडोर को जोड़ने का जो काम पीएम मोदी ने किया है, उसके लिए वो उन्हें भी ‘मुन्नाभाई’ वाली झप्पी देना चाहेंगे.

पाकिस्तान में मौजूद यह गुरुद्वारा सिखों और दूसरे पंजाबियों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपनी ज़िंदगी के अंतिम 18 साल यहीं बिताए थे.

सीमा की दोनों तरफ एंट्री पॉइंट के खुलने की शुरुआत गुरु नानक देव के 550वें जन्मदिवस पर हुई.

भारत और पाकिस्तान कॉरिडोर को लेकर पहले ही एक समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं जिसके तहत भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा आने के लिए पाकिस्तान वीज़ा फ़्री एंट्री देगा.

समझौते के तहत 5,000 भारतीय श्रद्धालु रोज़ाना गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे.

डेरा बाबा नानक भारत-पाकिस्तान सीमा से एक किलोमीटर की दूरी पर और रावी नदी के पूर्वी किनारे पर है. नदी के पश्चिम की ओर पाकिस्तान में करतारपुर शहर है. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से 4.5 किलोमीटर दूर है.

भारत के हिस्से में बन रहा डेरा बाबा नानक-श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर 4.1 किलोमीटर लंबा है जो डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक जाता है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग बनाई गई है.