दक्षिण अफ्रीका में मानव तस्करी का भांडाफोड़ होने के बाद पुलिस बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। कूंरा के पास फार्च्यून मेटालिक (धरसींवा) के फैक्ट्री प्रबंधन को घेरे में लेेने के साथ उस मजदूर का बयान लिया जाएगा, जिसने विदेश मंत्रालय में पत्र लिखा था। उसका ब्योरा विदेश मंत्रालय की ओर से प्रदेश सरकार को भेजी गई चिट्ठी में है। यही नहीं, एक पुलिस पार्टी उत्तराखंड भी रवाना की जा रही है। साथ ही वहां छापेमारी की जाएगी। पुलिस अफसरों के अनुसार शिकायत करने वाले मजदूर ने अपनी चिट्ठी में कई खुलासे किए हैं। मजदूर के मुताबिक एेसे मजदूरों को वहां ले जाने के लिए चुना जाता है, जिनका फैमिली बैकग्राउंड बेहद कमजोर होता है।
उनके परिवार में ज्यादा सदस्य नहीं होते। एेसे मजदूरों के चयन करने से यहां शिकायत या हल्ला मचने का खतरा कम रहता है। मजदूर ने शिकायत में यह भी लिखा है कि वहां न तो ठीक से खाने दिया जाता है न रहने की व्यवस्था है। उनको तनख्वाह भी उतनी नहीं दी जाती जितना कहा जाता है। वहां कई मजदूर बरसों से काम कर रहे हैं। वहां माइंस के प्रबंधक चालाकी से उनका वीजा अवधि बढ़ाते रहते हैं। माइंस आउटर में एेसे इलाकों पर है, जहां आना-जाना मुश्किल रहता है। कोई वहां से भागकर नहीं जा सकता। पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जाता है। इस वजह से भी वे भागने की कोशिश नहीं करते। पुलिस ने इस मामले में विदेश मंत्रालय से और भी जानकारी मांगने का आग्रह करेगी।
प्रबंधन पर सख्ती एक-दो दिन में : पुलिस अफसरों ने संकेत दिए हैं कि छत्तीसगढ़ के कबूतरबाजी स्कैंडल में एक-दो दिनों के भीतर कड़ी कारर्वाई करेगी। पुलिस इस मामले में अब तक केवल फार्च्यून मेटालिक के प्रबंधकों को नोटिस जारी करने की खानापूर्ति ही करती रही है। नोटिस के बावजूद फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से कोई भी जवाब देने नहीं पहुंचा। फैक्ट्री के एचआर हेड दीपक निगम भी पुलिस को प्रबंधकों के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध करा रहे हैं।
दिल्ली के तीन पार्टनर हंै, उनसे भी होगी पूछताछ : साउथ अफ्रीका में कोल माइंस का ठेका लेने वाली कंपनी के दो पार्टनर तो छत्तीसगढ़ के हैं लेकिन बाकी तीन दिल्ली के हैं। उनके नाम-पते भी पता लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस को जो इनपुट मिला है उसके अनुसार फार्च्यून मेटालिक के संचालक और रायपुर के पार्टनर मजदूरों को दिल्ली भेजते हैं।