पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद पर बलात्कार और यौन शोषण का आरोप लगाने वाली छात्रा को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया है.
मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख नवीन अरोड़ा ने बीबीसी संवाददाता समीरात्मज मिश्र को बताया कि बुधवार सुबह लड़की को कोतवाली ले जाया गया, उसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया.
मेडिकल परीक्षण के बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और मजिस्ट्रेट ने छात्रा को रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया.
छात्रा पर अपनी सहेलियों के साथ मिलकर पांच करोड़ रुपये मांगने का आरोप है.
इससे पहले छात्रा ने गिरफ़्तारी से सुरक्षा के लिए हाईकोट में अग्रिम ज़मानत के लिए अर्ज़ी दी थी जिसे ख़ारिज करते हुए अदालत ने ज़िला अदालत मे जाने का निर्देश दिया.
ज़िला अदालत ने मंगलवार को अर्जी स्वीकार कर ली थी और गुरुवार 26 तारीख़ को सुनवाई की तारीख़ तय की थी लेकिन एसआईटी ने उससे एक दिन पहले ही छात्रा को गिरफ़्तार कर लिया.
हाईकोर्ट ने नहीं सुनी छात्रा की अर्ज़ी
अपनी गिरफ़्तारी को रुकवाने के लिए छात्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी रुख किया था लेकिन अदालत ने उससे इस बारे में स्थानीय अदालत में अर्ज़ी देने को कहा था.
एसआईटी की टीम चिन्मयानंद को पहले ही गिरफ़्तार कर चुकी है और उन्हें 14 दिनों के लिए जेल भेजा गया है.
चिन्मायनंद पर धारा 376 (सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसके मुताबिक किसी शख़्स द्वारा अपनी ताक़त और पद का इस्तेमाल करते हुए ज़बरन यौन शोषण किया जाता है.
शाहजहांपुर स्थित एसएस लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा ने उन पर शोषण, अपहरण और धमकाने के आरोप लगाए हैं.
छात्रा और उसके परिवार वाले लगातार ये आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें प्रशासन की तरफ़ से सहयोग नहीं मिल रहा है.
कौन हैं चिन्मयानंद?
बीजेपी के पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं और राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं.
शाहजहांपुर में उनका आश्रम है और वो कई शिक्षण संस्थाओं के प्रबंधन से भी जुड़े हैं.
आठ साल पहले शाहजहांपुर की ही एक अन्य महिला ने भी स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण और उत्पीड़न का मुक़दमा दर्ज कराया था. महिला स्वामी चिन्मयानंद के ही आश्रम में रहती थी.
हालांकि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, सरकार ने उनके ख़िलाफ़ लगे इस मुक़दमे को वापस ले लिया था लेकिन पीड़ित पक्ष ने सरकार के इस फ़ैसले को अदालत में चुनौती दी थी. फ़िलहाल हाईकोर्ट से इस मामले में स्टे मिला हुआ है.