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83 लाख मिली सैलरी, दस करोड़ से अधिक का बना लिया घर…

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करोड़पति पूर्व डीएसपी के मामले में एंटी करप्शन की जांच में नए खुलासे हो रहे हैं। एंटी करप्शन के अनुसार नोएडा में तैनाती के दौरान वर्ष 2003 से लेकर 2017 तक डीएसपी को वेतन के रूप में सिर्फ 83 लाख रुपये मिले जबकि जिस कोठी में वह रह रहे हैं, उसकी ही कीमत करीब 10 करोड़ रुपये है। इसके अलावा भी उनकी कई संपत्तियां हैं।

नोएडा प्राधिकरण के बहुचर्चित अफसरों में से एक हर्षवर्धन भदौरिया मूलरूप से इटावा के निवासी हैं। उन्होंने 30 मई 1981 को पुलिस में सबइंस्पेक्टर से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी। वर्ष 1997 में पहली बार उन्हें इंस्पेक्टर के रूप में प्राधिकरण में तैनाती मिली। उसके बाद कुछ समय के लिए वह इलाहबाद मुख्यालय में भी तैनात रहे, लेकिन उनका अधिकांश समय प्राधिकरण में ही बीता। प्राधिकरण में उनका खासा रसूख था, उन पर स्टोर परचेज ऑफिसर का भी चार्ज था। इस दौरान उन पर कई आरोप लगे। सत्ता परिवर्तन के बाद चार्ज हटते ही उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र देते हुए वीआरएस ले लिया था। उन पर लगे आरोपों की शासन ने जांच कराई थी और एंटी करप्शन की टीम ने उनकी आय से अधिक संपति के मामले में जांच कर चार माह पहले मुकदमा दर्ज कराया था और अब एंटी करप्शन की मेरठ यूनिट उनके खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। एंटी करप्शन की जांच में अनेक अहम खुलासे हुए हैं। एंटी करप्शन के अनुसार 1 जनवरी 2003 से 29 मई 2017 तक करोड़पति डीएसपी की शुद्ध आय वेतन, भर्ती, एरियर की मिलाकर 83 लाख 23 हजार 24 रुपये थी, लेकिन इस बीच उन्होंने प्लॉट आदि खरीदने पर ही 10 करोड़ 63 लाख 76 हजार 352 रुपये खर्च किए हैं। इससे सीधे-सीधे 9 करोड़ 80 लाख 53 हजार 328 रुपये की सिर्फ संपत्ति ही अधिक मिली है।

सेक्टर 47 की जिस कोठी में वह रहते हैं, उसकी कीमत ही दस करोड़ से ज्यादा है। इसके अलावा भी कुछ अन्य संपत्तियां हैं। उन्होंने शानो-शौकत से रहने पर भी मोटा खर्चा किया है लेकिन इसका हिसाब देने में वह उलझ गए हैं। उनकी संपत्ति के संबंध में पूरा रिकॉर्ड एंटी करप्शन ने तैयार कर लिया है, जिसका चार्जशीट में भी उल्लेख है।

भ्रष्टाचार के मामले में यादव सिंह को भी पछाड़ा

एंटी करप्शन के अधिकारियों के अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में भदौरिया ने यादव सिंह को भी पीछे छोड़ दिया। यादव सिंह की संपति आय से 512 फीसदी ही अधिक मिली थी जबकि भदौरिया की संपति आय से 1178 फीसदी अधिक मिली है।