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छत्तीसगढ़ : बाल वैज्ञानिकों के आविष्कार को नीति आयोग ने व्यावसायिक उपयोग के लिए दी हरी झंडी

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गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के बाल वैज्ञानिकों के आविष्कार अटल कृषि मित्र का नीति आयोग ने व्यावसायिक उपयोग करने का निर्णय लिया है। रोबोटिक खेती को किस अंदाज में बढ़ावा दिया जा सकता है इसके लिए आयोग ने दो मल्टीनेशनल कंपनियों को जिम्मेदारी दी है। इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कारपोरेशन(आइबीएन) व बेटर इंडिया इसकी ड्राइंग डिजाइन से लेकर कीमत का निर्धारण भी करेगी। देश का पहला सरकारी स्कूल होगा जहां के बाल वैज्ञानिकों के आविष्कार को आयोग ने कमर्शियल उपयोग करने हरी झंडी दे दी है।

गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के बाल वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में देश के किसान कितने उन्नत होंगे और इसी आधार पर किस तरह से खेती करेंगे इसका एक रूप सामने रखा है। बाल वैज्ञानिकों ने आविष्कार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को समर्पित करते हुए इसका नाम अटल कृषि मित्र रखा है। बाल वैज्ञानिकों ने इसके जरिए यांत्रिक खेती करने का पूरा-पूरा इंतजाम किया है। किसानों के लिए राहत और सुविधा वाली बात ये कि अटल कृषि मित्र नाम का रोबोट एक जागरूक किसान की भूमिका निभाएगा। खेतों की जुताई के साथ ही धान की बोआई भी करेगा। धान का पौधा जब खेतों में निकलकर तैयार होगा और मौसम की गड़बड़ी के चलते अगर पौधों में कीटों का हमला हुआ तो रोबोट दवा का छिड़काव भी करेगा। फसल जब पककर तैयार होगी तब धान की कटाई के साथ ही साथ इसकी मिसाई भी करेगा। मिसाई के बाद रोबोट के पीछे हिस्से में बने विशेष टैंक में धान इकठ्ठा हो जाएगा। धान को घर तक परिवहन भी करेगा। अटल कृषि मित्र किसानों के लिए वरदान साबित होगा।

0 पेस्टिसाइड के लिए विशेष सिलेंडर

रोबोट में दवा का छिड़काव के लिए विशेष प्रकार का सिलेंडर लगा हुआ है। यह ऑटो सिस्टम पर आधारित है। मसलन एक सिलेंडर की दवा खत्म होने पर ऑटोमेटिक दूसरे सिलेंडर से दवा का छिड़काव शुरू हो जाएगा। ऐसे छह सिलेंडरों की सीरिज लगाया गया है जो एक-एक कर धान के पौधों में दवा का छिड़काव करेगा।

0 मैनपावर की कमी होगी दूर

खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या मजदूरों की है। समय पर मजदूर नहीं मिलते। इसके चलते खेती का काम पिछड़ जाता है। रोबोटिक खेती की शुरुआत होने के साथ ही मैन पावर की कमी दूर होगी।

नीति आयोग ने अटल कृषि मित्र के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दे दी है। इसकी जिम्मेदारी आइबीएम व बेटर इंडिया जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को सौंप दी है। यह देश का पहला स्कूल है जहां के बाल वैज्ञानिकों के आविष्कार को व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी है। गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए यह गौरव की बात है।

डॉ.धनंजय पांडेय

एटीएल इंचार्ज व लेक्चरर गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर