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लैंडर की लोकेशन मिलने के बाद इसरो के सामने ये बड़े सवाल

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चंद्रयान-2 के चांद की सतह से महज 2 किलोमीटर दूर संपर्क टूने के बाद रविवार को उसके चांद पर मिलने की खबर से थोड़ी सी उम्मीदें फिर जग गई है। हालांकि, इसरो चीफ के सिवन ने साफ किया कि अभी लैंडर विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो पाया है और यही बात इसरो के वैज्ञानिकों को परेशान कर रहा है। ऑर्बिटर द्वारा खींची गई थर्मल इमेज के बाद इसरो ने कल कहा था कि उसने लैंडर का सटीक लोकेशन का पता लगा लिया है। कहा जा रहा है कि लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई और उसकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर सबुकछ ठीक रहता तो रोवर प्रज्ञान अभी चांद के बारे में पूरी दुनिया को जानकारी दे रहा होता। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। आखिर अब आगे क्या होगा? क्या लैंडर से संपर्क स्थापित हो पाएगा? रोवर प्रज्ञान का क्या होगा?

आइए जानते हैं ऐसे सवाल जो इसरो को डाल रहे हैं टेंशन में

विक्रम के उतरते वक्त क्या गड़बड़ हुई?

1,471 किलो के लैंडर विक्रम ने रात के 1 बजकर 38 मिनट पर चंद्रमा की तरफ उतरना शुरू किया था। उस वक्त उसकी रफ्तार बहुत तेज थी। चार इंजन शुरू हुए, जिन्होंने रफ्तार कम की। जब लैंडर सतह से 5 किमी ऊपर था, उसी वक्त वह अपने तय रास्ते से थोड़ा भटक गया। हालांकि जल्द ही अपने रास्ते पर आ गया। वह थोड़ा और नीचे उतरा, लेकिन उलट पलट हो गया। सतह से 2.1 किलोमीटर पहले विक्रम से संपर्क टूट गया।

क्या लैंडर विक्रम क्रैश हो गया?

आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता लगाया जाएगा कि 1,471 किलो वजनी विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग हुई या क्रैश लैंडिंग। दरअसल, विक्रम को 7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से नीचे उतरना था। इसे 18 किमी की रफ्तार से उतरने तक के लिए प्रोग्राम किया गया था। अगर यह इससे तेज रफ्तार से टकराया होगा तो क्रैश लैंडिंग हुई होगी। एक आशंका यह भी है कि उलटकर विक्रम का रुख नीचे की तरफ हो गया हो, जिससे वह तेज रफ्तार से सतह से टकराया हो। ऐसे में इससे संपर्क मुश्किल होगा।

लैंडर के नुकसान को ठीक किया जा सकता है?

एक विशेषज्ञ ने बताया कि अगर हार्ड-लैंडिंग के बाद विक्रम चांद की सतह पर सीधा होगा और उसके उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचा होगा तो उससे दोबारा संपर्क स्थापित होने की उम्मीदें बरकरार रहेंगी। यानी चमत्कार की उम्मीद अभी भी है। लैंडर विक्रम के अंदर ही रोवर प्रज्ञान है, जिसे सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर उतरना था।

संपर्क की उम्मीद कब तक है?

इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि लैंडर को खुद ही जगह ढूंढकर सतह पर उतरना था। इसमें इसरो सेंटर से कोई निर्देश नहीं मिलना था। इसी दौरान कुछ गड़बड़ हुई और विक्रम अपने रास्ते से भटककर खो गया। उतरने के आखिरी पलों में लैंडर ने सही से काम नहीं किया। इसकी वजह से उससे संपर्क टूट गया, जो अभी तक शुरू नहीं हो सका है। विक्रम से संपर्क साधने के लिए अगले 14 दिनों तक कोशिशें की जाती रहेंगी।

क्यों हुई हार्ड लैंडिंग?

दरअसल, हार्ड लैंडिंग टर्म का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई स्पेसक्राफ्ट या अंतरिक्ष संबंधी कोई विशेष उपकरण ज्यादा तेज वर्टिकल स्पीड यानी लंबवत गति और ताकत से सतह पर पहुंचा हो। सॉफ्ट-लैंडिंग या नॉर्मल लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट या उपकरण धीमी और नियंत्रित गति से सतह पर उतरता है ताकि उसे नुकसान न पहुंचे। इसरो अब यह पता लगाने की कोशिश में जुटा है कि आखिर किन परिस्थितियों में लैंडर को हार्ड लैंडिंग करना पड़ा।

विक्रम के ट्रांसपोंडर का क्या होगा?

उधर, इसरो के एक सूत्र ने कहा कि अभी यह पता लगाना बाकी है कि विक्रम पर रखा ट्रांसपोंडर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित है या नहीं।