मुंबई में पली बढ़ी 30 साल की मोनिशा अजगावकर जब जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में पढ़ाई कर रही थीं तभी उन्हें एहसास हो गया था कि वो समलैंगिक हैं.
पर तब वो दुनिया और परिवार की प्रतिक्रिया के लिए तैयार नहीं थीं. इसलिए इस बात को उन्होंने राज़ रखा.
केवल कुछ क़रीबी लोग मोनिशा के इस राज़ को जानते थे. चार साल पहले जब उनके समलैंगिक होने का ज़िक्र कहीं छपा तो उनके परिवार को इसके बारे में पता चला. तब से वो अकेली ही रहती हैं. परिवार से कोई बातचीत नहीं.
मोनिशा अजगावकर LGBTQ एक्टिविस्ट भी हैं और वो इस मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रखती हैं.
हाल ही में मोनिशा अजगावकर ने LGBTQ कम्युनिटी के लोगों, जो अब तक सामने नहीं आए हैं और असमंजस से जूझ रहे हैं, के लिए एक फोटो सीरीज़ ‘ब्लॉसम’ बनाई जो दुनिया भर में बहुत पसंद की गई.
मोनिशा कहती हैं, “मुझे इस कॉन्सेप्ट का ख्याल जून में मनाए जाने वाले प्राइड मंथ के दौरान आया जब मैं दुनिया भर से LGBTQ समुदाय के लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की ख़बरें सुन रही थी.”
भावुक हुई मोनिशा आगे कहती हैं, “ऐसा नहीं है कि किसी ट्रांसजेंडर ने खुदकुशी कर ली हो बल्कि लोग उनके घरों में जाकर उन्हें जान से मार रहे थे. करीबन 12 से 15 ख़बरें उस दौरान मैंने पढ़ी जिसने मुझे हिला कर रख दिया. तब मैंने अपने काम के ज़रिए ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कुछ करने की ठानी. और इस कॉन्सेप्ट के बारे में सोचा. मैं चाहती हूं कि लोग अपने बारे में सुरक्षित महसूस करें, अपने शरीर से प्यार करें और अपने बारे में खूबसूरत महसूस करें.”
इस कॉन्सेप्ट के लिए मोनिशा अजगावकर ने मशूर मॉडल सुशांत दिवगिकर को चुना क्योंकि वे इस कॉन्सेप्ट की नज़ाकत को अच्छी तरह से समझते थे.
एक साल पहले जब धारा 377 को ख़त्म करने की ख़बर आई तो मोनिशा अजगावकर रो पड़ी थीं.
वो कहती हैं, “अब हम अपराधी नहीं कहे जाते. अब हमें आज़ादी है कि हम जो हैं, वो रहें पर फिर भी हमें शादी और बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं है. मुझे लगता है भारत में फ़िलहाल इन सब के लिए वक़्त लगेगा.”
मोनिशा अजगावकर आगे कहती हैं, “पर मुझे ख़ुशी है कि इस एक साल में कई लोग सामने आए. मैं ऐसी कई महिलाओं को जानती हूं जो आज भी समलैंगिक होने के बावजूद शादी में बंधे हुई हैं और अपने आप को पराया समझते हैं पर सामने आने से कतराती हैं.”
मोनिशा अजगावकर मानती हैं कि किसी भी LGBTQ इंसान को तब तक दुनिया के सामने नहीं आना चाहिए जब तक वो आर्थिक रूप से स्वतंत्र ना हो क्योंकि उन्हें नहीं पता कि उनका परिवार किस तरह से प्रतिक्रिया देगा.
आज जिस तरह से LGBTQ को समर्थन मिल रहा है अब वो टैबू नहीं रहा है जो कुछ साल पहले तक माना जाता था.
मोनिशा अजगावकर खुद हैरान हैं जिस तरह के LGBTQ लोगो को भारत में अपनाया जा रहा है.
हालांकि उनके समलैंगिक होने की वजह उनके ‘वेडिंग फोटोग्राफी’ करियर में थोड़ी दिक्कतें आईं जब कुछ क्लाइंट्स को उनका समलैंगिक होना असुविधाजनक लगता था लेकिन अब बहुत सारे लोगो से मुलाकात होती हैं जो बहुत ही सहायक है.
भारत में पली बढ़ी हुई मोनिशा अजगावकर प्यार और बेहतर ज़िंदगी के लिए अब कनाडा शिफ्ट होना चाहती हैं. वो शादी करना चाहती हैं.
वो कहती हैं कि कनाडा में LGBTQ लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं हैं. अब वो अपने लिए लड़की ढूंढ रही हैं जिसके साथ वो बेफ़िक्र ज़िंदगी गुज़ार सकें.
शादी की रस्मों का सबसे भावुक पल तब होता है जब एक पिता अपनी बेटी को विदा कर रहा होता है. मोनिशा ने इस पल को बेहद खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद किया है.
दुनिया में शादी की अलग-अलग रस्में हैं. चर्च में मौजूद एक नया जोड़ा.
होली के रंगों को भी मोनिशा ने अपने कैमरे में क़ैद किया है.
ज़िंदगी की एक नई शुरुआत के लिए उठे क़दम…