अगर आपने किसी अघोरी बाबा और नागा साधु को गौर से देखा होगा तो इनके बीच के अंतर ज़रूर जानते होंगे। बहरहाल यदि नहीं जानते तो हम बता देते हैं। आइए शुरू करें-
1.तपस्या में अंतर
किसी व्यक्ति को नागा साधु बनने के लिए नागा अखाड़े रहकर में बारह सालों तक कठिन से कठिन परिक्षाओं को देना पड़ता है।जबकि अघोरी बनने के लिए श्मशान घाट में रहकर कई सालों तक शिव की तपस्या की जाती है। इस अवधि की कोई सीमा नही होती है।
2.गुरु की अनिवार्यता
अघोरी बनने के लिए किसी भी गुरु के निर्देशन की कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती है। अघोरी भगवान शिव को ही अपना गुरु मानते हैं। जबकि नागा साधु अपने गुरु के देखरेख में ही शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करते हैं।
3.भोजन में अंतर
नागा साधु हो या अघोरी बाबा दोनों ही मांस का सेवन करते हैं। आपको कुछ शाकाहारी नागा साधु मिल सकते हैं, लेकिन कोई ऐसा अघोरी नहीं मिलेगा जो मांसाहारी न हों। अघोरी बाबाओं के संबंध में कहा जाता है कि यह जानवरों के अतिरिक्त मानव मांस भी खाते हैं।
4.पहनावे में अंतर
कुंभ मेले और मौनी अमावस्या दौरान स्नान के अवसर पर आपको कई नागा साधु बिना कपड़ों के दिख जाएंगे। जबकि अघोरी बाबा जानवरों की खाल अथवा किसी वस्त्र को लपेटे रहते हैं।
5.दर्शन स्थान में अंतर
नागा साधु को आप उनके अखाड़े मे मिल सकते हैं। यह अक्सर कुंभ मेले के दौरान दिखाई देते हैं औऱ फिर हिमालय में चले जाते हैं। जबकि अघोरी बाबा आपको कहीं भी, कहीं भी मिल जाएंगे। आमतौर पर श्मशान घाट पर अधिक दिखते हैं।