हिन्दी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. हरतालिका तीज 1 सितंबर या 2 सितंबर में से किस तारीख को मनायी जाएगी, इस बात को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है. कुछ लोग 1 सितंबर की तारीख बता रहे हैं तो कुछ 2 सितंबर की तारीख को सही बता रहे हैं. इस दुविधा को हम खत्म कर रहे हैं. हरतालिका तीज 2 सितंबर को ही क्यों मनायी जानी चाहिए और इसके पीछे ये है कारण…
02 सितंबर की तारीख सौभाग्य वृद्धि के लिए उत्तम: इस वर्ष सौभाग्य रक्षा का व्रत हरतालिका तीज 02 सितंबर दिन सोमवार को ही मान्य है. ज्योतिषीय गणना की मान्यता के अनुसार, चतुर्थी युक्त तृतीया का सौभाग्य वृद्धि में विशिष्ट महत्व है.
-02 सितंबर सोमवार को तृतीया का पूर्ण मान: हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग तथा सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व की महत्ता को बढ़ाती है. इसका प्रमाण ‘पर्व मुहूर्त निर्णय ग्रन्थ’ में इस प्रकार प्राप्त है-
‘चतुर्थी हस्त नक्षत्र सहिताया तु सा तृतीया फलप्रदा’
हस्त नक्षत्र में तीज का पारण वर्जित
इतना ही नहीं, प्रमाण यह भी मिलता है कि हस्त नक्षत्र में तीज का पारण वर्जित है, जबकि रविवार 01 सितंबर को व्रती महिलाओं को 02 सितंबर दिन सोमवार के भोर में पारण हस्त नक्षत्र में ही करना पड़ेगा, जो शास्त्रों के अनुसार उचित नहीं है.
चित्रा नक्षत्र का पारण सौभाग्य-वृद्धि में सहायक
यदि 02 सितंबर को व्रत रखेंगे तो 03 सितंबर दिन मंगलवार के भोर में चित्रा नक्षत्र का पारण सौभाग्य-वृद्धि में सहायक माना गया है. अतः सर्वसिद्ध हरितालिका तीज व्रत चतुर्थी युक्त तृतीया एवं हस्त नक्षत्र के कारण 02 सितंबर सोमवार को ही मान्य है.