जिलाधिकारी या डीएम किसी भी जिले का सबसे बड़ा सरकारी अधिकारी होता है. सरकारी योजनाओं, जिले में शांति सद्भाव बनाए रहने सहित, स्वास्थ्य, पढ़ाई-लिखाई और विकास कार्यों को लागू करने वाले सभी योजना की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होती है. ऐसे में अगर कोई जिलाधिकारी किसी सुदूर के गांव में वहां विकास कार्यों का जायजा लेने पहुंचता है तो लोगों को तमाम उम्मीदें होती है.
ऐसा ही एक नजारा मिजोरम के सियाहा जिले के गांव तिसोपी में देखने को मिला. जब जिलाधिकारी भूपेश चौधरी सड़क निर्माण का निरीक्षण करने तिसोपी गांव पहुंचे. ये पहला मौका था जब कोई डीएम तिसोपी गांव पहुंचा था. जिलाधिकारी भूपेश चौधरी को देखते ही लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. स्वागत के लिए ग्रामीणों ने डीएण भूपेश चौधरी को पालकी पर बैठाया और 600 मीटर से पालकी उठाकर ले गए. जिलाधिकारी भूपेश चौधरी करीब 15 किलोमीटर ट्रैकिंग कर गांव पहुंचे थे.
ग्रामीणों का कहना है कि, यह पहला मौका था जब कोई डीएम उनके गांव पहुंचा था. तिसोपी गांव सियाहा जिले के सबसे दूरस्थ गांवों में से एक है. यहां पक्की सड़कें तक नहीं हैं. उन्होंने यहां 15 किमी सड़क बनाने का आदेश दिया, जिसका काम भी शुरू हो गया. डीएम भूपेश चौधरी इसी का निरीक्षण करते हुए वहां पहुंचे. यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनवाई जा रही है. डीएम भूपेश चौधरी की कुछ दिन पहले ही सियाहा जिले में पोस्टिंग हुई है. उन्हें यहां सड़क नहीं होने की जानकारी मिली थी.
डीएम भूपेश चौधरी का पालकी पर बैठाकर स्वागत किए जाने पर, जिलाधिकारी ने कहा कि, “मैं रोकना चाहता था, लेकिन लोगों को बुरा लग सकता था.” डीएम भूपेश चौधरी का कहना है कि, “पहाड़ी क्षेत्र पर बसे गांव की आबादी 400 है. यहां के लोग खेती पर निर्भर हैं. सड़क का निरीक्षण करते हुए मैं जैसे ही गांव के पास पहुंचा. तो ग्रामीणों ने पालकी पर बिठा लिया. मैं उन्हें रोकना चाहता था लेकिन, यदि मैं रोकता तो उन्हें बुरा लग सकता था.”